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Bahu Pati: हिमाचल प्रदेश के एक गांव में आज भी महाभारत कालीन कई पतियों वाली प्रथा कायम है. यहां एक पत्नी के पांच से ज्यादा पति भी होते हैं.
डीएनए हिंदीः आपको आज एक ऐसे राज्य के बारे में बताएंगे जहां आप महारभारत काल की अपनी आंखों से देख सकेंगे. इस काल में महाभारत काल के बहु पति प्रथा का चलन आज भी कायम है. यहां द्रौपदी की तरह ही महिलाओं के पांच या उससे भी ज्यादा पति होते हैं.
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक घर में चाहे कितने भी बेटे हों उनकी शादी एक ही लड़की से होती है. यानी सभी भाइयों की एक ही दुल्हन होती है. तो चलिए आपको इस परंपरा और इससे जुड़ी खास बातों से रूबरू कराएं.
बता दें कि महाभारत में द्रौपदी का विवाह अर्जुन की भूल के कारण सभी भाईयों से हुआ था, लेकिन हिमाचल के किन्नौर में जानबूझ कर एक से ज्यादा पतियों के साथ एक पत्नी रहती है. खास बात ये है कि इस परंपरा के चलते यहां एकता, प्रेम और संम्भाव सब देखने को मिलता है.
पर्यटन के लिहाज से भी फेमस है ये गांव
हिमाचल प्रदेश का किन्नौर गांव पर्यटन के लिहाज से भी बहुत फेमस है. सर्दियों के दौरान बर्फबारी देखने लोग आते हैं. साथ ही यहां की संस्कृति और परंपरा जानने के लिए भी लोग यहां आना भी खूब पसंद करते हैं. इस गांव में महिलाओं को सम्मान बहुत होता है और उन्हें सर्वोच्च दर्जा दिया जाता है.
महिला होती हैं परिवार का मुखिया
घर की मुखिया यहां महिला ही होती है. महिला पति और बच्चे की देखभाल करने के साथ घर और खेतों में भी काम करती हैं. खास बात है कि यहां केवल पुरूष ही नहीं महिलाएं भी खाने के साथ शराब पीती हैं. यहां शराब का सेवन ठंड के कारण शरीर को गर्म रखने के लिए किया जाता है.
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इन कबाइली इलाकों में है भी है बहुपति प्रथा
हालांकि केवल हिमाचल ही नहीं, उत्तराखंड में भी कई कबाइली समजा में बहु पति प्रथा है. इसके पीछे कारण प्रेम अैर संपत्ति बटवारे से बचाव भी रहा है. दक्षिण भारत और नॉर्थ ईस्ट में भी कई.कई जनजातियों में यह प्रथा जारी है.
कब से चल रही है यह प्रथा
हिमाचल के किन्नौर वालों का मनना है कि ये प्रथा महाभारत काल से चली आ रही है. इसके पीछे वजह यह बताई जाती है कि वनवास के दौरान जब 1 साल का अज्ञातवास था तो पांडव यहीं छुपे थे.
एक ही दिन होती है सारे भाईयों की शादी
यहां जब किसी लड़के की शादी की उम्र होती है तो सारे भाइयों की उसी दिन शादी होती है और सभी भाई दुल्हा बनकर आते हैं.
दरवाजे पर रखी जाती है टोपी
अगर कोई भाई दुल्हन के साथ कमरे में हैए तो वह दरवाजे पर अपनी टोपी रख देता है. बाकी भाई इस परंपरा का सम्मान करते हैं. दरवाजे पर टोपी रखी होने की स्थिति में दूसरा कोई भाई कमरे में नहीं जाता है.
आज भी क्यों चल रही है यह प्रथा
किन्नौर में बहुपति प्रथा को कुछ लोग पांडवों के समय से भी प्राचीन मानते हैं. दुल्हन के साथ को लेकर समय का उचित विभाजन होने से यह प्रथा दाम्पत्य जीवन पर अनुचित दबाव नहीं डालती. सभी संतानें अपने कानूनी पिता को पिताजी और उनके अन्य भाइयों को मझले पिताजीए छोटे पिताजी आदि कहते हैं.
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इससे परिवार की संपत्ति का बंटवारा नहीं होता है. घर की समृद्धि बनी रहती है. परिवार के टुकड़े नहीं होते है. बहुपति प्रथा जीने वाली महिलाएं खुद को अधिक सुखी व सुरक्षित महसूस करती हैं. एक पति वाली महिलाओं की तुलना में वह खुद को अधिक उदार मानती हैं. उन्हें पति की मौत के बाद विधवा होने का दंश नहीं झेलना पड़ता है. वह हर पति के जीवित होने तक सुहागिन होती हैं.
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