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Himachal Assembly Elections: हिमाचल में करीब एक तिहाई SC-ST वोटर, जानिए क्या है दलितों के वोट का पैटर्न

Himachal Assembly Elections: हिमाचल प्रदेश में जिले वार SC/ST आबादी देखें तो प्रदेश के लाहौल स्पीति में 81.44% और किन्नौर में 57% आबादी एसटी है.

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Himachal Assembly Elections: हिमाचल में करीब एक तिहाई SC-ST वोटर, जानिए क्या है दलितों के वोट का पैटर्न

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव

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डीएनए हिंदी: हिमाचल प्रदेश में अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति (SC & ST) की कुल आबादी 30.9 फीसदी है. प्रतिशत के आधार पर पंजाब के बाद देश में दूसरी सबसे ज्यादा अनुसूचित आबादी (SC) आबादी हिमाचल प्रदेश में रहती है. हिमाचल की कुल आबादी का करीब 25.2% अनूसचित जातियां हैं. इसके अलावा 5.7% आबादी अनुसूचित जनजातियों (ST) में आती है. आइये देखते हैं कि हिमाचल प्रदेश के दलित वोट का क्या कोई पैटर्न है.

लाहौल स्पीति में सबसे ज्यादा SC-ST
हिमाचल प्रदेश में जिले वार SC/ST आबादी देखें तो प्रदेश के लाहौल स्पीति में 81.44% और किन्नौर में 57% आबादी एसटी है. इसके अलावा चम्बा में भी 26.1% आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) से सबंध रखती है.

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वहीं, अनूसूचित जाति (SC) की सबसे ज्यादा आबादी (30.34%) सिरमौर जिले में रहती है. इसके बाद मंडी (29.38%), सोलन (28.35%), कुल्लू (28.01%), शिमला (26.51%), बिलासपुर(25.92%), हमीरपुर (24.02%), ऊना (22.16 %) चम्बा (23.81%), चम्बा (21.52%), कांगड़ा (21.15%) और किन्नौर(17.53 %) जिले में आती है. वही लाहौत स्पीति में राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी महज 7.08 % है.

आरक्षित सीटों पर कोई ट्रेंड नहीं वहीं, अगर पार्टीवार चुनाव दर चुनाव SC-ST सीटों पर जीत का आंकड़ा देखा जाए. तो हमेशा जीतने वाले पार्टी के संबध में ही पलट जाता है. साल 1985 के चुनावों में कांग्रेस को 19 में से 17 आरक्षित सीटें मिली थी. वहीं 1977 में के चुनावों में जनता पार्टी को 16 सीटें मिली थी.

अगर पिछले 10 विधानसभा चुनावों के आंकड़ें देखें तो पता चलता है कि ये बीजेपी कांग्रेस में करीब करीब आधी आधी बंटी है. अब तक भाजपा को कुल 87 सीटें और कांग्रेस को कुल 89 सीटें मिली हैं. 5 सीटें अन्य या आजाद उम्मीदवारों के हिस्से आई हैं.

हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक विज्ञान विभाग की चेयरपर्सन प्रो. मृदुला शारदा का कहना है, “हिमाचल प्रदेश में SC-ST समुदाय की कोई अलग लीडरशिप नहीं है. SC-ST समुदाय ने इन्हीं दोनों पार्टियों मे अपनी लीडरशिप ढूंढ ली है. मगर ये परपरांगत रुप से किसी के वोटर नहीं रहे हैं”.

प्रदेश में किसी ट्रेंड न होने के संभावित कारणों पर प्रो. शारदा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में आरक्षित जातियों ने कथाकथित अगड़ी जातियों की नेतृत्व स्वीकारने के कोई परहेज नहीं दिखाया है. इसीलिए यहां पर SC-ST वोटों की कभी खेमेबंदी नहीं हुई है.

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