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पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की कमी, ममता बनर्जी तैयार करा रहीं 'डिप्लोमा प्लान', जानिए नफा नुकसान

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की कमी है. ममता बनर्जी ने इसके लिए जो प्लान तैयार किया है, उस पर लोगों का भरोसा कर पाना बेहद मुश्किल है. इस पर खुद हेल्थ एक्सपर्ट्स सवाल खड़े कर रहे हैं.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फाइल फोटो-PTI)

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डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए मेडिकल में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है. गुरुवार को ममता बनर्जी ने कहा है कि ऐसे कोर्सेज की शुरुआत होनी चाहिए जिससे जल्दी से डॉक्टरों की कमी पूरी की जा सके.

ममता बनर्जी ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम से प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयों के लिए और अधिक चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से इस तरह का पाठ्यक्रम शुरू करने के कानूनी पहलुओं पर गौर करने को कहा. 

डिप्लोमा इंजीनियरों की तरह डॉक्टर बनाना चाहती हैं ममता बनर्जी 

ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में आयोजित उत्कर्ष बांग्ला की समीक्षा बैठक के दौरान कहा, 'आप कृपया पता लगाएं कि क्या हम चिकित्सा कर्मियों के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कर सकते हैं, जैसे हम इंजीनियरों के लिए करते हैं. कई लड़कों और लड़कियों को मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिला लेने का अवसर मिलेगा.'

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क्यों ममता बनर्जी डिप्लोमा कोर्स की कर रही हैं वकालत?

स्वास्थ्य मंत्रालय का काम भी संभाल रहीं ममता बनर्जी ने कहा कि नियमित एमबीबीएस पाठ्यक्रम में मेडिकल स्नातक होने के लिए कम से कम पांच साल लगते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि डिप्लोमा पाठ्यक्रम चिकित्सा कर्मियों की कमी को दूर करेगा. उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से इस प्रस्ताव पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति गठित करने को भी कहा.ममता के प्लान के क्या हैं नफा नुकसान?

ममता बनर्जी के इस प्लान को लेकर जब कुछ डॉक्टरों से बातचीत की गई तो उन्होंने जो जवाब दिया, उसे सुनकर लग रहा है कि वे ऐसे प्लान से नाराज हैं. आयशा हेल्थ क्लीनिक के चीफ डॉक्टर शाहिद अख्तर कहते हैं कि डॉक्टर 5 साल में अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करता है. वह ह्युमन बॉडी की स्टडी करता है. दवाइयों से लेकर सर्जरी तक की बेसिक ट्रेनिंग उसे दी जाती है. यह कोर्स जल्दबाजी का कोर्स नहीं है. ममता बनर्जी के इस फैसले का लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ेगा. बेहतर है यह न शुरू हो.

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अलशिफा क्लीनिक में तैनात डॉक्टर अताउर्रहमान का कहना है कि अगर मेडिकल की पढ़ाई 3 साल के डिप्लोमा में होने लगेगी तो डिप्लोमा इंजीनियर्स की तरह डॉक्टरों की भी हालत हो जाएगी. 3 साल में कंपाउंडर की बेसिक ट्रेनिंग दी जा सकती है, चिकित्सा की नहीं. यह गलत फैसला है. बिगड़ी हुई इमारत ठीक की जा सकती है, सड़कें सुधारी जा सकती हैं लेकिन बिगड़ी सेहत नहीं. 

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