भारत
NCRB रिपोर्ट ने कोलकाता को लगातार चौथी बार सबसे सुरक्षित शहर बताया. इस पर RG कर केस पीड़िता के पेरेंट्स ने सवाल उठाए और कहा, "जब मेरी बेटी सुरक्षित नहीं थी, तो यह रिपोर्ट झूठी है." इसी के साथ, उन्होंने कम अपराध दर्ज होने पर संदेह जताया.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट ने देश भर में विवाद खड़ा कर दिया है. इस रिपोर्ट में कोलकाता को लगातार चौथी बार देशभर में सबसे सुरक्षित शहर घोषित किया गया है. लेकिन कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल जघन्य रेप और हत्या का शिकार हुई ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने इस दावे को खारिज कर दिया है.
एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में कोलकाता में प्रति लाख लोगों पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं. यह लगातार चौथी बार है जब कोलकाता ने यह दर्जा हासिल किया है, जहां प्रति लाख लोगों पर 83.9 संज्ञेय अपराध दर्ज हुए. हालांकि, पीड़िता के माता-पिता ने इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
शनिवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, पीड़िता के माता-पिता ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने दावा किया कि ये निष्कर्ष फील्ड बेस्ड रिसर्च पर आधारित नहीं हैं और संभवतः यह रिपोर्ट 'किसी को खुश करने' के लिए तैयार की गई है.
पीड़िता की मां ने भावुक होते हुए पूछा- "क्या मेरी बेटी सुरक्षित थी, और वह भी अपने कार्यस्थल पर? क्या दक्षिण 24 परगना जिले के कुलतली में रहने वाली वह बुजुर्ग महिला, जो इस हफ्ते सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई, सुरक्षित थी? यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है. मुझे नहीं पता कि रिपोर्ट किसने तैयार की. ऐसा लगता है कि रिपोर्ट कार्यालय में आराम से बैठकर और बिना किसी उचित फील्ड बेस्ड रिसर्च के तैयार की गई है."
यह भी पढ़ें- Kolkata Gangrape: पहले गैंगरेप, फिर शराब, आरोपी ने मांगे थे बड़े लोगों से मदद , मोबाइल टावर ने खोले कई अहम राज
पीड़िता के पिता ने एनसीआरबी में रिपोर्ट तैयार करने वालों की विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि अगर वह यह मान भी लें कि कोलकाता देश का सबसे सुरक्षित शहर है, तो इसका मतलब यह है कि भारत के दूसरे शहरों में सुरक्षा की स्थिति 'अकल्पनीय' रूप से खराब है. पीड़िता के पिता ने कम अपराध दर का एक संभावित कारण बताते हुए पुलिस प्रणाली पर संदेह जताया, कहा- "मुझे शक है कि एनसीआरबी को गुमराह किया गया होगा, और इसीलिए ऐसी रिपोर्ट आई. एकमात्र संभावना यह है कि कोलकाता के पुलिसकर्मी आम लोगों द्वारा दर्ज कराई गई ज्यादातर शिकायतों को दर्ज नहीं करते, और इसलिए शहर में अपराध के आंकड़े कम बताए जाते हैं."
उन्होंने अंत में दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि, "हमारी बेटी के जाने के बाद हमें हकीकत का अंदाजा हो सकता है. शायद, अनुभव एक जैसे ही हैं." पीड़िता के माता-पिता का यह कड़ा बयान, जघन्य अपराधों के बावजूद सुरक्षा रैंकिंग में शीर्ष पर रहने वाले शहरों के दावों और जमीनी हकीकत के बीच के बड़े अंतर को दर्शाता है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.