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क्या कश्मीर पहुंच रहे हैं अमेरिकी सेना द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियार?

आतंकवादियों को M249 ऑटोमैटिक राइफल्स, 509 टैक्टिकल गन, M1911 पिस्टल और M4 कार्बाइन राइफल का इस्तेमाल करते हुए देखा जा सकता है.

क्या कश्मीर पहुंच रहे हैं अमेरिकी सेना द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियार?
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डीएनए हिंदी: अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी का असर आखिरकार कश्मीर में देखा गया है. हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में स्थानीय कश्मीरी आतंकी अफगानिस्तान में अमेरिका सेना द्वारा छोड़े गए हथियारों के साथ दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में दिखाई दे रहे आतंकी 'पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फोर्स' से जुड़े बताए जा रहे हैं. 

पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फोर्स (PAFF) द्वारा जारी किए गए वीडियो में आतंकवादी लेटेस्ट अमेरिकन हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आतंकी संगठन ने अपने लोगों की हथियार लिए हुए कुछ तस्वीरें भी अपलोड की हैं. आतंकियों का दावा है कि उन्होंने इन हथियारों का इस्तेमाल भारतीय सेना (Indian Army) के खिलाफ हाल ही में हुए हमले में किया है, जिसमें भारतीय सेना के 9 जवान शहीद हो गए थे.

सुरक्षा विशेषज्ञों की पहचान के अनुसार, आतंकवादियों को M249 ऑटोमैटिक राइफल्स, 509 टैक्टिकल गन, M1911 पिस्टल और M4 कार्बाइन राइफल का इस्तेमाल करते हुए देखा जा सकता है. इन सभी हथियारों का इस्तेमाल अमेरिकी सेना भी कर रही है.

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रक्षा विशेषज्ञों ने पहले ही संकेत दिया था कि अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कश्मीर की स्थिति पर असर पड़ेगा. अब कश्मीर आतंकियों के हाथ में ये हथियार दिखाई देना साफ तौर पर इस बात का सबूत है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हथियार अब पाकिस्तान के हाथ लग चुके हैं.

मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि अमेरिकी सैनिकों ने जब अफगानिस्तान छोड़ा तब वो 80 मिलियन अमरिकी डॉलर के हथियार छोड़ गए थे. इनमें छह लाख से अधिक अत्याधुनिक छोटे हथियार जैसे राइफल, मशीनगन, पिस्तौल, ग्रेनेड लांचर और आरपीजी हैं.  इसके अलावा सर्विलांस इक्विपमेंट, रेडियो सिस्टम, ड्रोन, नाइट विजन गॉगल्स भी इन सब में शामिल हैं.  

रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं, "तालिबान ने अब अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए काबुल और उसके आस-पास के इलाकों में सभी हथियारों को खुली बिक्री पर रख दिया है. इसे पाकिस्तान के ISI और चीन ने खरीदा है. पाकिस्तान इसे जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी समूहों को प्रदान करता है और चीनी रक्षा इंजीनियर तकनीक प्राप्त करने के लिए उनका उपयोग करते हैं."

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वहीं रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने मानते हैं कि अमेरिका निर्मित असॉल्ट राइफल्स के साथ कुछ विदेशी आतंकवादियों का पकड़ा जाना सुरक्षाबलों के लिए चिंता का विषय है. ऐसे हथियार उन आतंकवादियों को बढ़त प्रदान करते हैं.

आपको बता दें कि हाल ही में दक्षिण कश्मीर में मारे गए आतंकवादी के पास से सेना द्वारा अमेरिकी निर्मित घातक एम 4 कार्बाइन राइफलें बरामद की गई हैं. जम्मू-कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों के लिए अत्याधुनिक हथियार एक नई और बड़ी चुनौती हैं. इसलिए अब भारतीय सेना के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए यूएस निर्मित सिग सॉयर 716 राइफल्स और सिग सॉयर एमपीएक्स 9 एमएम पिस्तौल मिल रही है.

(रिपोर्ट: खालिद हुसैन)

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