भारत
1.राहुल गांधी के सबसे करीबी लोगों में से थे सिंधिया

2019 लोकसभा चुनावों तक राहुल गांधी के सबसे करीबी लोगों में से एक ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे. सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर भी राहुल ने कहा था कि मेरी उनसे कॉलेज के जमाने से फ्रेंडशिप है. 2019 के चुनावों में सिंधिया की हार के साथ ही यह रिश्ता बिखरने लगा. 2020 आते-आते बात इतनी बढ़ गई कि सिंधिया ने कांग्रेस से ही रास्ते अलग कर लिए.
2.बीजेपी में मिला बड़ा ओहदा

सिंधिया के लिए अगर यह कहा जाए कि उनके परिवार की ही तरह पिछले 2 दशक में उनका ओहदा राजनीति में कभी कम नहीं हुआ, तो बिल्कुल ठीक है. 2014 में भले ही कांग्रेस विपक्ष में थी लेकिन सिंधिया पार्टी का प्रमुख चेहरा रहे. 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस की ओर से प्रमुख चेहरा थे. बीजेपी में आते ही सिंधिया को बड़ी जिम्मेदारी मिली. बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा तो भेजा ही प्रदेश की राजनीति में भी उनका कद बरकरार रखा. अंदर के खेमों से अक्सर ऐसी सुगबुगाहट होती रही है कि सिंधिया शायद अगले चुनावों में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा भी हों.
3.पीएम मोदी ने दी बड़ी जिम्मेदारी, सिविल एविएशन मिनिस्टर बनाया

ज्योतिरादित्य सिंधिया हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं. उन्होंने कांग्रेस सरकार में भी मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई है. पीएम मोदी ने उनकी योग्यता को देखते हुए सिविल एविएशन मिनिस्टर बनाया है. इतना ही नहीं अब राज्यसभा में भी वह अक्सर सरकार का पक्ष जोरदार ढंग से रखते हैं. उनके भाषणों के मुरीद पीएम मोदी भी हैं और उन्होंने खुद उनकी तारीफ की थी.
4.कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर रहते हैं हमलावर

माना जाता है कि सिंधिया मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की खेमेबाजी से परेशान थे. पार्टी हाईकमान के व्यवहार ने भी उन्हें आहत किया था. इन सबका असर ये हुआ कि उन्होंने न सिर्फ पार्टी छोड़ी बल्कि कांग्रेस को भी प्रदेश की सत्ता से बेदखल कर दिया. पार्टी छोड़ने के बाद से अक्सर सिंधिया को बिना नाम लिए इन दोनों पर कठोर हमले करते सुना जाता है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने का असर ये हुआ है कि प्रदेश में कांग्रेस की जमीन अब पूरी तरह से खिसक चुकी है.
5.पत्नी हैं राजनीति से दूर लेकिन चुनावों में खूब करती हैं प्रचार

राजघराने से ताल्लुक रखने वाली सिंधिया की पत्नी अमूमन राजनीति से दूर रहती हैं. हालांकि, चुनावों के दौरान ग्वालियर-गुना क्षेत्र में उनकी सक्रियता दिखती है. सिंधिया की पत्नी उनके लिए खूब चुनाव प्रचार करती हैं. उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद भी प्रियदर्शिनी राजे सोशल मीडिया और चुनावी सभाओं में उनके लिए समर्थन जुटाती नजर आती हैं.