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Supreme Court ने यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई से किया इनकार, जानिए आखिर क्या है यह विवाद

Supreme Court ने यूनिफॉर्म सिविल कोड से संबंधित बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया है.

Supreme Court ने यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई से किया इनकार, जानिए आखिर क्या है यह विवाद
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डीएनए हिंदी: यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी एक देश एक कानून के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला करते हुए इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. इस याचिका में मांग की गई थी कि देशभर के सभी उच्च न्यायालयों (High Courts) में दायर की गईं यूनिफॉर्म सिविल कोड से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई हो. इस मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. 

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दायर की गई यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की थी. सुप्रीम कोर्ट ने भारत भर में समान न्यायिक संहिता की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. 

अश्विनी उपाध्याय ने की थी ये मांग

याचिका में कहा गया था कि सभी उच्च न्यायालयों को मामले के पंजीकरण के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाने, सामान्य न्यायिक शर्तों, वाक्यांशों और संक्षिप्त रूपों का उपयोग करने का निर्देश दिया जाए. साथ ही अदालत की फीस को एक समान बनाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं. 

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका लगाई गई थी कि वैकल्पिक रूप से भारत के विधि आयोग को न्यायिक शर्तों, वाक्यांशों, संक्षिप्ताक्षरों, केस पंजीकरण और अदालत शुल्क बनाने के लिए उच्च न्यायालयों के परामर्श से एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दें.  हालांकि इन सभी मांगों को लेकर आई इस याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है.

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क्या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि देश के हर नागरिक पर एक समान कानून लागू होना चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो. अभी देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ है लेकिन समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद सभी मजहबों के लोगों को एक जैसे कानून का पालन करना पड़ेगा.

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गौरतलब है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ लगातार समान नागरिक संहिता की मांग करता रहा है. वहीं उत्तराखंड से लेकर असम तक की राज्य सरकारों ने समान नागरिक संहिता राज्यों के स्तर पर लागू करने के संकेत भी दिए हैं. वहीं इस पूरे मुद्दे पर सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समुदाय द्वारा होता है क्योंकि उनका मानना है कि उनके शरीया में इससे विरोध होता है. 

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