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पुणे पोर्श कांड में Bombay High Court ने कहा, 'आरोपी नाबालिग अभी सदमें है, उसे समय दिया जाए'

Pune Porsche case: पुणे पोर्श कार हादसे के मामले में Bombay High Court ने सुनवाई करते हुए बड़ी बात कही है. आदालत में नाबालिग की चाची द्वारा लगाई याचिका पर सुनवाई चल रही थी.

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पुणे पोर्श कांड में Bombay High Court ने कहा, 'आरोपी नाबालिग अभी सदमें है, उसे समय दिया जाए'
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Pune Porsche case: पुणे पोर्श कार हादसा (Pune Porsche accident) आपको याद होगा इस हादसे में नशे में धुत्त नाबालिग ने पिता की ₹2.5 करोड़ की इलेक्ट्रिक पॉर्श सुपरकार चलाते समय दो लोगों का एक्सीडेंट कर दिया था, जिसमें दोनों की मौत हो गई थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए Bombay High Court की बेंच ने कहा है कि हादसे का नाबालिग आरोपी सदमे में है और उसे कुछ समय दिया जाना चाहिए.

किशोर की चाची ने दायर की थी याचिका
बॉम्बे हाई कोर्ट में पोर्श कार हादसे के आरोपी नबालिग की चाची की याचिका पर सुनावाई हो रही है.  नाबालिग आरोपी की चाची ने बाल सुधार गृह से उसे रिहा करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. 


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पुलिस पर भी उठे सवाल
उधर दूसरी तरफ पुणे पुलिस पर भी सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लग रहे हैं. अदालत ने पुणे पुलिस ने पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तरह नाबालिग के जामनत आदेश में संशोधन किया गया और उसे बाल सुधार गृह भेजा गया. नाबालिग आरोपी की चाची के वकील ने अदालत को बताया कि पुलिस ने जमातन आदेश को संशोधित करने का प्रयास किया है, जो कि अवैध है. पोंडा ने यह भी कहा कि नाबालिग आरोपी के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. 

ये कानून का उद्देश्य नहीं है
जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने कहा कि नाबालिग आरोपी को उसके परिवार के सदस्यों की देखभाल और निगरानी से दूर ले जाया गया और पर्यवेक्षण गृह में भेज दिया गया, जो कि कानून का उद्देश्य नहीं है.

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