भारत
मणिपुर में शांति वार्ता फिलहाल गतिरोध में है. कुकी-जो समुदाय अपने लिए एक अलग पहाड़ी राज्य की मांग पर अड़ा हुआ है. इस बीच, लोकसभा में मणिपुर के सांसद बिमोल अकोइजम का सवाल हटा दिया गया, जिससे राजनीतिक विवाद और बढ़ गया.
मणिपुर में शांति बहाली की राह फिलहाल कठिन होती नजर आ रही है. राज्य में महीनों से जारी जातीय हिंसा को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार और कुकी-जो समुदाय के बीच वार्ता हो रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में बड़ा गतिरोध आ गया है. कुकी-जो समुदाय अपने लिए एक अलग पहाड़ी राज्य की मांग कर रहा है, जबकि केंद्र इसे स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है. सरकार चाहती है कि समाधान संविधान के दायरे में निकाला जाए, जिससे राज्य का विभाजन न हो. इस बीच, हथियार आत्मसमर्पण का अभियान चल रहा है, लेकिन हिंसा पूरी तरह थमी नहीं है. साथ ही, लोकसभा में मणिपुर से जुड़े एक सवाल को हटाने पर भी राजनीतिक विवाद गहरा गया है.
कुकी-जो समुदाय की यह मांग राज्य के संविधानिक ढांचे से बाहर जाती है, जिससे केंद्र इस पर सहमति देने को तैयार नहीं है. अगर इस मांग को मान लिया जाता है, तो इससे न सिर्फ अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मणिपुर में जातीय तनाव भी और गहरा सकता है. केंद्र सरकार की रणनीति है कि कुकी-जो समुदाय को संवैधानिक दायरे में अधिक स्वायत्तता देने, उनकी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने का भरोसा देकर समाधान निकाला जाए.
गवर्नर अजय भल्ला के आत्मसमर्पण आह्वान के बाद मणिपुर में करीब 1,050 हथियार सरेंडर किए गए हैं. हालांकि, मणिपुर पुलिस और सुरक्षा बलों ने अब तक कुल 4,500 हथियार बरामद किए हैं, जिनमें से अधिकतर हिंसा के दौरान लूटे गए थे. पुलिस का कहना है कि अब हथियारों की बरामदगी के लिए और सख्त कदम उठाए जाएंगे.
8 मार्च को हुए प्रदर्शन में एक कुकी प्रदर्शनकारी की मौत के बाद कांगपोकपी जिले में तनाव बढ़ गया था. इसके चलते समुदाय ने राज्यभर में सड़कें जाम कर दीं और वाहनों की आवाजाही रोक दी. हालांकि, स्थानीय प्रशासन के लगातार संवाद से परिवार ने आखिरकार मृतक का शव अंतिम संस्कार के लिए ले लिया, जिससे स्थिति में कुछ सुधार आया है.
अभी तक मणिपुर संकट का कोई स्पष्ट समाधान नहीं दिख रहा है. केंद्र सरकार जहां संविधान के तहत समाधान निकालने की कोशिश कर रही है, वहीं कुकी-जो समुदाय अलग पहाड़ी राज्य की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है. ऐसे में, दोनों पक्षों के बीच सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण होगा. हालांकि, सरकार बातचीत जारी रखने और शांति बहाली के लिए अन्य उपायों पर भी विचार कर रही है.
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