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Parliament Session: डिजिटल मीडिया कानून पर संसद में होगी बहस, 5 पॉइंट्स में लीजिए इसकी जानकारी

केंद्र सरकार डिजिटल न्यूज को कानून के दायरे में लाने की लगातार कोशिश कर रही है. विपक्ष इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश बताता रहा है, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता और जवाबदेही से जोड़कर सही ठहरा रही है. अब सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में भी एक संशोधन प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है.

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डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने यूट्यूब चैनलों और डिजिटल मीडिया के अन्य साधनों को रेगुलेट करने की तैयारी कर ली है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह से शुरू हो रहे संसदीय सत्र (parliament session) में इसके लिए कानून में संशोधन विधेयकर पर बहस कराने की तैयारी पूरी कर ली है. संशोधन में नियमों को तोड़ने पर सजा का प्रावधान शामिल किया गया है.

हालांकि केंद्र सरकार के इस कदम को संसद में विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले ही सरकार की तरफ से मीडिया की आवाज को दबाने के प्रयासों का आरोप लगाता रहा है. आइए आपको 5 पॉइंट्स में बताते हैं इस कानून को लेकर क्या चल रहा है.

1. पहली बार डिजिटल मीडिया कानूनी दायरे में आएगा

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, मीडिया रजिस्ट्रेशन कानून के दायरे में पहली बार डिजिटल मीडिया को शामिल किया जा रहा है, जो अब तक किसी भी दूसरे कानून या सरकारी रेगुलेशन में परिभाषित नहीं किया गया था. इससे डिजिटल मीडिया को कानूनी तौर पर वैध मीडिया होने का दर्जा भी मिल जाएगा. 

नया कानून ब्रिटिश शासनकाल में बने कानून की जगह लेगा.

2. किस तरह का होगा नया कानून

देश में मीडिया गतिविधियों के लिए जिम्मेदार  सूचना व प्रसारण मंत्रालय (Information and Broadcasting ministry) ने डिजिटल मीडिया को कानूनी दायरे में लाने के लिए कानून में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है. रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल्स बिल (Registration of Press and Periodicals Bill) में संशोधन के जरिये 'किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिये डिजिटल मीडिया के लिए की गई न्यूज' को भी इसके दायरे में लाया जा रहा है.

3. किस कानून की जगह लेगा संशोधित कानून

रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियॉडिकल्स बिल को मौजूदा प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट-1867 (Press and Registration of Books Act, 1867) की जगह लाया जा रहा है. मौजूदा कानून को ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में न्यूज पेपर और प्रिंटिंग प्रेस को नियमों के दायरे में लाने के लिए बनाया गया था.

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4. कैसे काम करेगा डिजिटल न्यूज के लिए नया कानून

  1. डिजिटल न्यूज (Digital news) पब्लिशर्स को भी अब रजिस्ट्रेशन कराना होगा. संसद से संशोधन पारित होने के बाद इसकी अधिसूचना के 90 दिन के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.
  2. रजिस्ट्रेशन के लिए डिजिटल पब्लिशर्स को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास आवेदन करना होगा.
  3. प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को ही नियमों का उल्लंघन करने वाले पब्लिकेशंस के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार होगा.
  4. कार्रवाई के तहत ऐसे पब्लिकेशंस का रजिस्ट्रेशन कैंसिल या सस्पेंड करने से लेकर जुर्माना लगाने तक की कार्रवाई होगी.
  5. कार्रवाई के खिलाफ अपील के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन की अध्यक्षता में अपीलीय बोर्ड गठित होगा.

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5. पीएमओ से नहीं मिला है संशोधन बिल को अभी अप्रूवल

मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, संशोधन बिल को पूरी तरह तैयार कर लिया गया है, लेकिन इसे अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और अन्य हितधारकों से अप्रूवल नहीं मिला है. 

पहले भी किया गया था संशोधन का प्रयास

यह पहली बार नहीं है, जब सरकार ने डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए कानून संशोधन की कोशिश की है. इससे पहले भी साल 2019 में इंफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी के नए नियमों के तहत डिजिटल मीडिया को लाने का प्रयास किया गया था, जिसे लेकर बेहद विवाद हो गया था. इसके बाद सरकार ने अपना कदम वापस ले लिया था.

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