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तवांग में आंख नहीं दिखा पाएगा चीन, सेला सुरंग बनाकर LAC तक मजबूती से पहुंचेगी इंडियन आर्मी

चीन से तनाव के बीच अब भारतीय सेना के लिए तवांग का रास्ता पहले से ज्यादा आसान होगा और किसी भी परिस्थिति का तुरंत जवाब दिया जा सकेगा.

तवांग में आंख नहीं दिखा पाएगा चीन, सेला सुरंग बनाकर LAC तक मजबूती से पहुंचेगी इंडियन आर्मी
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डीएनए हिंदी: भारत और चीन के सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश (India China Clash) के तवांग में हुई झड़प के बाद भारत यहां अपनी स्थिति मजबूत करने में जुट गया है. रक्षा तंत्र को मजबूत करने के साथ ही परिवहन को भी मजबूत बनाया जा रहा है जिससे भारतीय सेना (Indian Army) की सीमा पर पहुंच आसान और तेज रफ्तार से हो. LAC के पास ऐसी एक अहम जगह पर बीआरओ (BRO) यानी सीमा सड़क संगठन अब सेला दर्रे में सुरंग बना रहा है. यह रणनीतिक तौर पर बेहद अहम मानी जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई जा रही यह सुरंग भारतीय सेना के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम होगी. 

इस सेला दर्रे की सुरंग का फायदा यह होगा कि इसके जरिए अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हर मौसम में संपर्क हो सकेगा. ऐसी स्थिति में परिवहन भी मजबूत होगा. भारतीय सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम माने जा रहे इस प्रोजेक्ट के एक कर्मचारी नंद किशोर ने बताया है कि सुरंग निर्माण का काम साल 2023 के जुलाई महीने तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.

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अभी भारतीय सेना को तय करना पड़ता है लंबा सफर 

कर्मचारी ने बताया है कि भारतीय सेना के जवान और क्षेत्र के लोग तवांग तक पहुंचने के लिए बालीपारा-चारीदुआर रोड का इस्तेमाल कर रहे हैं. भारी बर्फबारी के कारण सेला दर्रा मार्ग के माध्यम से संपर्क कट गया है. ठंड के मौसम में उस दर्रे के पास से सफर करना बेहद मुश्किल हो जाता जिसके चलते सेना को भी परेशानी होती है. जानकारी के मुताबिक सेला दर्रा सुरंग मौजूदा सड़क को बायपास करेगी और यह बैसाखी को नूरानंग से जोड़ देगी.

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8-9 किलोमीटर कम हो जाएगी दूरी

कर्मचारी ने बताया है कि सेला सुरंग सेला-चारबेला रिज से कटती है जो तवांग जिले को पश्चिम कामेंग जिले से अलग करती है. यह सेला दर्रे के पश्चिम में कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सुरंग सुगम वाहनों की आवाजाही प्रदान करेगी. जानकारी के मुताबिक टनल के पूरा होने के बाद दूरी करीब 8-9 किमी कम हो जाएगी. इसका सीधा फायदा मुश्किल परिस्थितियों में भारतीय सेना को होगा.

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