भारत
Independence Day 2022: भारत का स्वाधीनता आसानी से नहीं मिली है. वर्षों के संघर्ष में सपूतों ने अपने जीवन का उत्सर्ग किया है, जिन्हें हम गर्व के साथ याद करते हैं. चंद्र शेखर आज़ाद से लेकर शहीद भगत सिंह तक, देश ने अलग-अलग शूरवीं की कहानियां सुनी हैं. पढ़ें लोकेंद्र सिंह की रिपोर्ट.
डीएनए हिंदी: साल 1948. देश के आजादी की महक अभी हर जगह फैली ही हुई थी लेकिन उसी साल दिल्ली के बिरला हाउस में 30 जनवरी 1948 को एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे देश में मातम फैलाया. भीड़ में तीन गोलियां चली और सबकुछ खत्म हो गया. नाथुराम गोडसे ने गांधी जी को तीन गोलियां मारी.
मृत्यु से पहले महात्मा गांधी के मुंह से निकले वो आखिरी अल्फाज थे 'हे राम.'
दूसरी बड़ी घटना इस साल की थी जम्मू-कश्मीर से जुड़ी. जम्मू-कश्मीर की कहानी सैकड़ों साल पुरानी है. यह वही साल था जब पहली बार कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचा. सवा साल के युद्ध के बाद 31 दिसंबर 1948 को सीजफायर लागू कर दिया गया. उस सीजफायर के बाद जम्मू-कश्मीर का दो तिहाई हिस्सा भारत के पास रहा, वहीं एक तिहाई हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा हुआ. इसके साथ सेना की कारवाई के बाद 1948 में सितंबर के महीने में हैदराबाद का विलय भारत में हुआ और 1948 में भारत को ओलंपिक में हॉकी में पहला गोल्ड मेडल भी मिला था. मेन्स टीम ने ब्रिटेन को मात देते हुए गोल्ड अपने नाम किया था.
Independence Day 2022: जब 1985 में SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का गठन हुआ
• 30 जनवरी 1948
• नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की
• कश्मीर का मुद्दा सयुंक्त राष्ट्र पहुंचा
• 31 दिसंबर 1948 को सीजफायर लागू
• सितंबर में हैदराबाद का विलय भारत में
• ओलंपिक में हॉकी में पहला गोल्ड मेडल
1949. यह वह ऐतिहासिक साल है जब देश के संविधान को स्वीकार किया गया था. हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. भारत के संविधान के आधार पर ही देश की संसद कानून बनाती है, जिससे पूरे देश की व्यवस्था चलती है. यह संविधान दिवस साल 1949 से ही जुड़ा है. 26 नवंबर 1949 को ही संविधान तैयार हो गया था.
देश के संविधान को बनने में 2 साल, 11 महीने और 8 दिन का समय लगा था, अलग बात यह है कि उसे लागू होने में दो महीने और लग गए. 16 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया, जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं.
बैंकिंग सेक्टर में भी 1949 को सबसे बड़ी कामयाबी भारत के नाम रही, क्योंकि 1 जनवरी 1949 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ था. इससे पहले RBI ब्रिटिश राज के अंदर एक प्राइवेट पज़ेशन था.
1950 में क्या हुआ खास?
साल 1950 भारत के लोकतंत्र में मील का पत्थर साबित होने वाला था. लिहाजा भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की अगुवाई में और संविधान के शिल्पीकार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भारत का संविधान समिति के पटल पर रखा जिसे स्वीकार कर लिया गया. 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया और फिर 26 जनवरी 1950 में भारत के संविधान को लागू किया गया.
Video: Independence Day 2022- 1959 में कैसे रख दी गई थी चीन-भारत युद्ध की नींव
देश को आजादी तो साल 1947 में ही मिल गई थी लेकिन 1950 में पहली बार भारत एक स्वतंत्र देश बना. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 26 जनवरी 1950 को भारत का जन्म हुआ. तब के गवर्नर जनरल चक्रावर्ती राजागोपालचारी ने इस बात का ऐलान किया कि अब दुनिया में एक और स्वतंत्र देश बन चुका है जिसे रिपब्लिक ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाएगा.
25 जनवरी 1950 को ही भारत के चुनाव आयोग की स्थापना की गई, साथ ही जम्मू और कश्मीर को भी एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया और इसी के साथ जम्मू और कश्मीर भारत का एक अटूट अंग बन गया हालांकि उसे भारतीय संविधान से अलग और भी कई अधिकार दिए गए थे.
भारत की दशा और दिशा तय करने में साल 1950 की बेहद अहम भूमिका है क्योंकि सही मायने में माना जाए तो साल 1950 ही भारत के जन्म का साल है
साल 1951 में क्या कुछ बदला?
देश को आजाद हुए तीन साल का वक्त बीत चुका था लेकिन देश को तेजी से तरक्की के रास्ते पर चलाने के लिए कोई योजना तैयार करनी थी जिससे सिलसिलेवार तरीके से देश आगे बढ़ सके. साल 1928 में स्टेलिन ने रूस में पंच वर्षीय योजना की शुरुआत की थी. जवाहरलाल नेहरू शुरुआत से ही रूस से प्रभावित थे लिहाजा उन्होंने रूस की तर्ज पर भारत में भी पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की. खुद जवाहरलाल नेहरू पंचवर्षीय योजना के पहले अध्यक्ष बने जबकि उपाध्यक्ष के तौर पर गुलजारी नंदा ने पद भार संभाला. पहली पंच वर्षीय योजना के केन्द्र में खेती को रखा गया ताकि उपज बढ़ाई जा सके क्योंकि उस वक्त भारत उत्पादन में काफी पिछड़ा हुआ था. स्वास्थ और शिक्षा को भी इस प्लान में तर्जी दी गई. पहली पंच वर्षीय योजना में 2069 करोड़ रुपये का बजट बनाया जिसे अलग-अलग विभागों में बांटा गया था.
Video: 1989 में क्रिकेट के 'भगवान' की हुई जब फील्ड में एंट्री
साल 1951 में केवल पहली पंचवर्षीय योजना ही लागू नहीं हुई बलकि रेलवे का भी राष्ट्रीयकरण किया गया. रेलवे को तीन जोन में बांटा गया और बस यहीं से भारतीय रेलवे की नींव पड़ी जो पूरी दुनिया में सबसे रेलवे का सबसे बड़ा नेटवर्क है. इस वक्त भारत में 7216 छोटे-बड़े स्टेशन है जबकि 119630 किलोमीटर लंबाई की पटरियां पूरे देश में बिछाई जा चुकी हैं
साल 1952 में क्या हुए बदलाव?
भारत के पहले लोकसभा के चुनाव फरवरी 1952 में खत्म हुए. सर्वापल्ली राधाकृष्णन 216 सदस्यों के साथ राज्यसभा के पहले अध्यक्ष बने. भारत में साल 1951 में आम चुनाव हो चुके थे और जवाहरलाल नेहरू की सरकार बनना पूरी तरह से तय था. हालांकि इस चुनाव को लेकर चुनाव आयोग के सामने बहुत चुनौतियां थी, सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों के बीच फैली असाक्षरता, उस वक्त देश की आबादी करीब 50 करोड़ थी जिसमें केवल 15 फीसदी लोग ही एक भाषा में लिखना पढ़ना जानते थे. ऐसे में चुनाव आयोग के सामने चुनौती थी कि लोग अपनी पसंदीदा पार्टी की पहचान कैसे करें.
तब तत्कालीन चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने तय किया कि वो बैलेट पेपर पर पार्टी का सिंबल भी प्रिंट करेंगे ताकि लोग उसकी पहचान कर सकें और अपने उम्मीदवार को वोट दे सकें. उस वक्त जवाहर लाल नेहरू को हाथ की जगह हल वाली बैलों की जोड़ी का सिंबल मिला था. चुनाव के परिणाम आए और नेहरू ये चुनाव बड़ी आसानी से जीत गए,आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि ये चुनाव 68 चरणों में कराया गया था.
Independence day 2022: चीन-पाक से लड़ाई के बीच स्पेस पॉवर बने हम, जानिए आजादी के बाद 1959 से 1968 तक का हाल
15 अप्रैल 1952 को नेहरू के हाथ में सत्ता आ गई और 17 अप्रैल 1952 को पहली बार लोकसभा के सदस्यों की सदस्यता की शुरुआत हुई . मई के महीने में पहली बार लोकसभा और राज्यसभा सत्र की शुरुआत हुई और जी वी मावलंकर पहले लोकसभा के अध्यक्ष बने.
सन 1953 में क्या हुआ खास?
आजादी मिले हुए अभी 10 साल भी नहीं हुए थे कि अलग-अलग किस्म की मांगों से भारत में अलग अलग किस्म की मांग होने लगी थी. इसी मांग में से एक था आंध्र प्रदेश राज्य की मांग. हालांकि यह मांग पहले से चल रही थी और इस मांग के केंद्र में थे गांधीवादी आंदोलनकारी पोट्टी श्रीमालू. आजादी के बाद महात्मा गांधी ने इस मांग को पूरा करने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को कहा भी था लेकिन तब तक उनकी राय बदल चुकी थी.
उनका मानना था कि देश धर्म के नाम पर बंट चुका है ऐसे में भाषा के आधार पर राज्य बनाने से देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंच सकता है. अक्टूबर 1952 में पोट्टी श्रीरामलू ने आमरण अनशन शुरू किया और 56 वें दिन उनका निधन हो गया. वह तेलुगू भाषियों के लिए मद्रास प्रेसीडेंसी से अलग राज्य की मांग कर रहे थे.
Video: Independence Day 2022- जब 1961 में आजादी के 14 साल बाद आजाद हुआ गोवा
श्री रामलू की मौत के बाद आंदोलनों ने हिंसक रूप ले लिया और 1953 में तत्कालीन सरकार को मजबूरन तेलुगू भाषियों के लिए अलग राज्य आंध्रप्रदेश की घोषणा करनी पड़ी. आंध्रप्रदेश का गठन होने के बाद आंदोलन पूरे देश में फैल गया. अन्य क्षेत्रों में भी भाषाई आधार पर राज्यों की मांग जोर पकड़ने लगी, इसे देखते हुए 19 दिसंबर 1953 को पीएम जवाहर लाल नेहरू ने राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया.
साल 1954 में क्या हुआ बदलाव?
1954. यह वही साल था जब हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे खूब जोरो-शोरों से लगे थे. भले आज हमारे देश के चीन के साथ संबंध उतने अच्छे न हो, लेकिन आज से 68 साल पहले 29 अप्रैल 1954 को भारत और चीन के बीच पंचशील समझौते की नींव रखी गई थी. यह समझौता चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच व्यापार और आपसी संबंधों को लेकर हुआ था. इसमें पांच सिद्धांत थे जो अगले पांच साल तक भारत की विदेश नीति की रीढ़ रहे थे.
यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के पहले प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई के बीच हुआ था. इसके साथ ही इसी साल देश का सबसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार जो राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है, उसे पहली बार तीन लोगों को दिया गया था. उनमें सी राजागोपालचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी.वी रमन के नाम शामिल हैं.
• 29 अप्रैल 1954
• भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता
• सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार
• सी. राजागोपालचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी.वी रमन
साल 1955 में हुए कितने बदलाव?
साल 1955, देश धीरे-धीरे हर सेक्टर में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा था. बैंकिंग सेक्टर के लिए 1955 भी एक महत्वपूर्ण साल था. 1 जुलाई 1955 को इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रख दिया गया था. 1921 में स्थापित हुआ था इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया. भारत के इस सबसे बड़े कमर्शियल बैंक को 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में तब्दील कर दिया गया था. साल 1955 से ही 1 जुलाई को हर साल SBI के स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
वहीं देश की दूसरी बड़ी घटना जवाहर लाल नेहरू का सोवियत दौरा था. वह 7 जून 1955 को सोवियत संघ पहुंचे थे. इस दौरे पर रूस ने भारत में भारी उद्योग लगाने में मदद करने को लेकर सहमति जताई. इस दौरे के बाद दुनिया में भारत की एक अलग छवि बनी. इस दौरे पर एक खास बात यह थी कि जब नेहरू जिस रास्ते से गुजर रहे थे, उस दौरान उन पर कुछ लोगों ने गुलाब भी बरसाए थे. सोवियत संघ और यूरोप के इस दौरे का लक्ष्य तेजी से बढ़ते कोल्ड वॉर के दौर में शांति को बढ़ावा देना था. नेहरू ने दुनिया के मुद्दे पर भारत को ना सिर्फ एक महत्वपूर्ण देश बल्कि उसको दुनिया में अभूतपूर्व समर्थन भी दिलवाया.
1956 में क्या कुछ बदला?
करीब 33 लाख स्क्वार किलोमीटर में फैला दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश भारत. वक्त के साथ बेहतर व्यवस्था के लिए देश में राज्यों का बनना शुरू हो चुका था. साल 1956 वो साल था जब एक साथ कई राज्यों की स्थापना हुई. 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश, कर्नाटक.छत्तीसगढ़, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, पंजाब और हरियाणा राज्य बने, साथ ही दिल्ली, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार, पुदुचेरी और चंडीगढ़ को यूनियन टेरिटरी डिकलेर किया गया.
साल 1957 में क्या कुछ बदला?
साल 1957 आ चुका था लेकिन फिर भी भारत के कई हिस्से अभी भी भारत के कब्जे में नहीं थे. गरीबी से देश जूझ रहा था और इसी बीच दूसरे लोकसभा चुनाव कराए गए. इन चुनावों में भी जीत कांग्रेस पार्टी को मिली और एक बार फिर जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने. इस बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नेहरू ने अंग्रेजों के जमाने में सिक्कों में चलने वाला आना सिस्टम बंद कर दिया और देश में शुरुआत हुई नए सिक्कों की. अप्रैल 1957 में केरला में चुनाव कराए गए जिसमें लैफ्ट ने बाजी मारी और कम्यूनिष्ट पार्टी की तरफ से ई एम एस नंबूदरीपाद केरल के मुख्यमंत्री चुने गए.
Video: Independence Day 2022- क्यों 1962 में चीन ने कर दिया था भारत पर अचानक हमला?
1957 तक भारत के कई राज्य उसके कंट्रोल में नहीं थे, पुर्तगालियों ने अब तक गोवा पर कब्जा जमा रखा था और अक्सर भारतीय फौज से पुर्तगालियों की झड़प हो जाया करती थी. अगस्त में एक ऐसी ही झड़प दादर और नागर हवेली के करीब तारक पारदी में हुई जब पुर्तगाली जवानों ने भारत की सैनिक पोस्ट पर फायर किया. हालांकि इस झड़प में दोनों ओर कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन एक बात भारत सरकार को समझ आ गई थी कि जल्द से जल्द गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से आजाद कराना पड़ेगा.
भारत अपनी फौज का आधुनिकरण कर रहा था और इसी साल भारत को अपना पहला जैट बॉम्बर विमान कैनबरा मिला जो दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिए एक अहम हथियार माना जा रहा था
साल 1958 में कितना बदला भारत?
साल 1958 भारत के लिए अच्छे बुरे साल के तौर पर याद किया जाएगा. अच्छा इसलिए क्योंकि भारतीय फिल्म मदर इंडिया को इसी साल एकेडमी अवार्ड मिला, फ्लाइंग सिख मिलखा सिंह ने भी इस साल गोल्ड मेडल जीता जबकि बुरा इसलिए कि भारत का पहला बड़ा घोटाला इसी साल सामने आया. इस घोटाले को नाम दिया गया हरिदास मुंदड़ा घोटाला, इस घोटाले में मुंदड़ा ने सरकारी बाबूओं के साथ साठ-गांठ कर के LIC से करीब 1 करोड़ 24 लाख रुपये की रकम 6 कंपनियों में लगवाई जिसका मोटा शेयर मुंदड़ा के पास था. बिना LIC की इनवेस्टमेंट कमेटी की राय ले 1 करोड़ 24 लाख रुपये की रकम मुंदड़ा की इन छह कंपनियों में लगाई गई जिससे LIC को काफी नुकसान हुआ.
इस बात की भनक जब जवाहरलाल नेहरू के दामाद और रायबरेली के सांसद फिरोज गांधी को लगी तो उन्होंने अपने ही ससुर की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जबकि नेहरू चाहते थे कि इस घोटाले को ज्यादा हवा ना दी जाए और चुपचाप कार्रवाई करके पूरे मामले को खत्म कर दिया जाए लेकिन फिरोज गांधी नहीं माने और जवाहर लाल नेहरू और फिरोज गांधी के बीच मनमुटाव बढ़ गया.
दबाव में आकर नेहरू ने एक कमीशन बना दिया, इस कमीशन में एक मात्र सदस्य बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एम सी छागला थे जिन्होंने जांच के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णाम्चारी को दोषी माना और उन्हें अपने पद से इस्तिफा देना पड़ा जिसके बाद नेहरू ने वित्त मंत्री का ओहदा भी संभाला.
साल 1959 में क्या-क्या हुए बदलाव?
चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बारे में हर किसी ने सुना होगा लेकिन इस लड़ाई की नींव पड़ी थी साल 1959 में. वजह बने दलाई लामा. 31 मार्च 1959 ये वही तारीख थी जब दलाई लामा चीनी आक्रमण की वजह से तिब्बत से भागकर भारत पहुंचे. चीन की फौज उनका पीछा कर रही थी और वो किसी भी वक्त दलाई लामा को अपने कब्जे में कर सकती थी. दलाई लामा अपने कुछ साथियों के साथ भारत-चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचे. बॉर्डर पर मौजूद भारतीय फौज और स्थानीय प्रशासन ने उन्हें तुरंत सुरक्षा दी और उन्हें अरुणाचल से असम लेकर आ गए.
भारत में कुछ हफ्ते पहुंचने के बाद ही दलाई लामा की मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से हुई और तब अधिकारिक तौर पर इस बात का ऐलान किया गया कि भारत ने दलाई लामा को शरण दी है. उस वक्त पर अरुणाचल प्रदेश को नेफा के नाम से जाना जाता था. दलाई लामा के आने से पहले ही कई लोगों ने तिब्बत से भागकर भारत में शरण ले ली थी. हालांकि तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद बड़े पैमाने पर तिब्बती लोग वहां से भागकर भारत उत्तर-पूर्व राज्यों के अलावा भारत के दूसरे कोनों में भी फैल गए.
Video: Independence Day 2022- 1964 में जवाहर लाल नेहरू का दिल का दौरा पड़ने से निधन
दलाई लामा को शरण देने की वजह से चीन भारत से खासा नाराज था और दलाई लामा को शरण देने के तीन साल बाद ही चीन ने भारत पर हमला कर दिया और नेफा का काफी इलाका अपने कब्जे में ले लिया जहां पर तिब्बत से आए ज्यादातर शरणार्थियों ने शरण ले रखी थी.
साल 1960 में क्या हुए अहम बदलाव?
आजादी के बाद के भारत में चुनौतियों की भरमार थी लिहाजा समझौते हो रहे थे और नई योजनाओं को हरी झंडी भी दिखाई जा रही थी. इसी कड़ी में जो सबसे बड़ा नाम आता है वो है सिंधु जल समझौता, जहां सबसे करीबी देश इस समझौते में थे, दरअसल 1947 में आजादी मिलने के बाद से ही दोनों देशों में पानी को लेकर विवाद शुरू हो गया.
पानी को लेकर के बीच जब भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद जब ज्यादा बढ़ गया तब 1949 में अमेरिकी विशेषज्ञ और टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल ने इसे तकनीकी रूप से हल करने का सुझाव दिया. उनके राय देने दे बाद इस विवाद को हल करने के लिए सितंबर 1951 में विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने मध्यस्थता करने की बात स्वीकार कर ली. जिसके बाद 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ.
वहीं साल की दूसरी बड़ी घटना महाराष्ट्र और गुजरात का पृथक राज्य के तौर पर माना जाता है, जहां गुजराती लोगों ने अलग राज्य के लिए आंदोलन चलाया तो दूसरी तरफ मराठी लोगों ने अलग राज्य के लिए अपनी आवाज उठाई, लिहाजा पृथक राज्य अधिनियम 1956 के तहत 1 मई 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात दो राज्य अस्तित्व में आए.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
Pope Francis: कैसे होता है पोप का चुनाव, जानिए पूरी प्रक्रिया
Ishan kishan की कैसे हुई BCCI की Contract List में वापसी, जानिए इनसाइड स्टोरी
पोप फ्रांसिस ने दुनिया को कहा अलविदा, जानें उनके बाद कौन संभालेगा वेटिकन की कमान
कौन थे कैथोलिक चर्च प्रमुख पोप फ्रांसिस, 88 की उम्र में ली आखिरी सांस, अब कौन होगा उत्तराधिकारी
नहीं रहे पोप फ्रांसिस, 88 की उम्र में त्यागा शरीर, लंबे समय से चल रहे थे बीमार
Mardaani 3: शिवानी शिवाजी रॉय बन फिर लौट रहीं Rani Mukerji, फिल्म की रिलीज डेट हुई अनाउंस
Dry Dates For Kids: बच्चों के विकास के लिए वरदान है छुहारा, कब और कैसे खिलाना है? जानें सही तरीका
छत पर छिड़ा घरेलू युद्ध! गुस्साई पत्नी ने पति को फेंका नीचे, Video Viral
IPL के बीच BCCI ने किया सालाना कॉन्ट्रैक्ट 2024-25 का ऐलान, लिस्ट देखकर लोग बोले 'Where is Thala?'
Climate Change से चावल बन रहा 'जहर', भारत समेत एशिया के करोड़ों लोगों पर मौत का खतरा! Study
बढ़ा हुआ Uric Acid? कम करने के लिए डाइट में शामिल करें ये फूड्स
Naxal Encounter: झारखंड के बोकारो में 8 नक्सलियों का एनकाउंटर, 1 करोड़ का इनामी माओवादी भी ढेर
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भयानक सड़क हादसा, पेड़ से टकराई कार, 6 लोगों की मौत, 2 घायल
गॉलब्लैडर स्टोन से हैं परेशान? भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन
पुलिस अधिकारी बनकर पैसे ऐंठने के आरोप में शख्स गिरफ्तार, एक व्यक्ति के सहारे पुलिस ने सुलझाए 8 मामले
Gurugram का पर्यावरण बचाने उतरे एथलीट्स, ऑक्सीजन बचाने के लिए मियावाकी तकनीक से बनाएंगे शहर में जंगल
क्या आपको पता है Post Office की यह कमाल की स्कीम, निवेश करें और 20000 मंथली पेंशन पाएं, जानें सबकुछ
Weather Update: भीषण गर्मी की चपेट में दिल्ली-NCR, कई राज्यों में IMD ने जारी किया येलो अलर्ट
UP: सरकारी अस्पताल में वार्ड बॉय की शर्मनाक करतूत, मृत महिला के कान से उतार लीं सोने की बालियां
'उद्धव ठाकरे ने पत्नी रश्मि से पूछा क्या?', राज ठाकरे के साथ आने की चर्चाओं पर नितेश राणे का तंज
CSK के खिलाफ सबसे ज्यादा 50+ स्कोर बनाने वाले खिलाड़ी, इस नंबर पर आते हैं रोहित शर्मा
'आइला! ये सेम टू सेम...', Kajol की बेटी Nysa को देखकर खा जाएंगे धोखा, हूबहू मां जैसी है स्माईल
पहली पत्नी की कर दी हत्या, फिर पुलिस को मिलाया फोन... मेरठ में एक और दिल दहला देने वाली वारदात
पत्नी को धोखा दे रहे थे Sohail Khan, सीमा सजदेह ने अपने एक्स पति को लेकर ये क्या कह दिया!
Rashifal 21 April 2025: आज कैसा रहेगा आपका दिन? जानें मेष से मीन तक सभी 12 राशियों का राशिफल
Babil Khan ने लिया बड़ा फैसला, पिता Irrfan Khan की तरह करेंगे ये काम, फैंस हुए हैरान
2027 के यूपी चुनाव को लेकर अखिलेश यादव ने कर दिया बड़ा ऐलान, INDIA गठबंधन पर कही ये बात
Aaj Ka Choghadiya: क्या है आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त? जानें चौघड़िया से लेकर राहुकाल तक का समय
Ayush Mhatre: कौन हैं आयुष म्हात्रे, जिसे मिला DHONI की CSK के लिए डेब्यू करने का मौका
Katrina Kaif ने लगाई पति Vicky Kaushal के नाम की क्यूट मेहंदी, डिजाइन ऐसा जिसपर हार बैठेंगे दिल
IPL 2025 : CSK में धोनी के खेलने और उम्र को लेकर ये क्या बेतुका तर्क दे बैठे Michael Hussey?
Face Glow Tips: कम पैसे में चाहिए फेशियल जैसा ग्लो? मुंह धोने के तुरंत बाद चेहरे पर लगाएं ये एक चीज
वैभव सूर्यवंशी को छोड़ना पड़ा मटन और पिज्जा! जानें युवराज-लारा के स्टाइल तक की कहानी
Stress Relieving Foods: 'खुशियों का डोज' हैं ये 5 फूड्स, दिमागी टेंशन दूर कर मूड रखते हैं हैप्पी
'अगर 400 पार हो जाते, तो सड़कों पर तलवारें और राइफलें लहराते', अखिलेश यादव का बीजेपी पर बड़ा हमला
KKR vs GT Weather Report: केकेआर और गुजरात के मैच में बारिश बनेगी काल! जानें कोलकाता के मौसम का हाल
Urvashi Rautela के वो 5 उटपटांग बयान, सुनकर आप भी कहेंगे 'अरे रुको जरा'
IPL 2025: Vaibhav Suryavanshi के डेब्यू को क्यों ज़रूरी मानते हैं RR के असिस्टेंट कोच Bahutule?
UP में शख्स ने फांसी लगाने से पहले बनाया VIDEO, अतुल सुभाष की तरह पत्नी को बताया आत्महत्या जिम्मेदार
लखनऊ में किये गए ड्राप, IPL 2025 में आगे Ashwin को लेकर क्या है CSK की प्लानिंग?
KKR vs GT Pitch Report: ईडन गार्डन में होगी रनों की बारिश? जानें कैसी है कोलकाता की पिच रिपोर्ट
नाखूनों से मिलते हैं Vitamin-B12 Deficiency के ये संकेत! कहीं आपकी बॉडी में तो नहीं इसकी कमी?
जम्मू-कश्मीर में भूस्खलन और ओले से भारी तबाही, 3 की मौत, श्रीनगर हाईवे बंद, 100 से अधिक को बचाया गया
सभी दवाओं से मुक्त होकर खड़ा हूं... Amit Shah ने दिया Weight Loss और बीमारियों का दूर रखने का मंत्र
हैदराबाद में दलित युवक के साथ हैवानियत, कपड़े उतरवाकर पीटा, पैर चटवाए, आरोपी फरार, समझें मामला
LSG vs RR मैच में दोबारा क्यों हुआ टास, Rishabh Pant की बात पर क्यों लगे ठहाके?