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7 साल की कैद, 10 लाख का जुर्माना... घुसपैठ पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार लेकर आई नया बिल

अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 को लेकर विपक्ष ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजकर पहले विचार विमर्श किया जाना चाहिए.

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7 साल की कैद, 10 लाख का जुर्माना... घुसपैठ पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार लेकर आई नया बिल

pm Narendra Modi 

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केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों के भारत में आने से संबंधित प्रावधान वाला विधेयक पेश किया. विपक्ष के विरोध के बीच गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 'आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक 2025' प्रस्तुत किया. इसके तहत घुसपैठ और गलत तरीके से भारत में आए विदेशी लोगों पर लगाम लगाने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं.

अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 को लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विरोध किया.  उन्होंने दावा किया कि यह बिल कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. मनीष तिवारी ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि जेपीसी में इसपर गहन विचार-विमर्श किया जाए. तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने भी नियमों का हवाला देते हुए विधेयक को प्रस्तुत किए जाने का विरोध किया.

बिल में क्या-क्या प्रावधान?

इस बिल में प्रस्तावित कानून में इमिग्रेशन नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. अगर कोई विदेशी पासपोर्ट व वीजा के बगैर भारत में एंट्री करता पकड़ा गया उसे 5 साल की जेल और 5 लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है. इसके अलावा जाली दस्तावेज पर भारत में एंट्री करने पर 7 साल की जेल और 1 से 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.


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अप्रवासन-विदेशी विधेयक 2025 के प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई विदेशी निर्धारित समय से अधिक समय तक भारत में रहेगा, वीजा शर्तों का उल्लंघन करेगा उसे तीन साल तक की कैद और 3 लाख रुपये का जुर्माना दोनों हो सकते हैं. 

4 अधिनियम होंगे निरस्त

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि विपक्ष की ओर से विधायी क्षमता पर सवाल उठाया गया है, लेकिन यह विधेयक सदन की क्षमता के अंतर्गत लाया गया है. उन्होंने कहा कि यह विषय संविधान की 7वीं अनुसूची में आता है. किसी भी विदेशी के प्रवेश या प्रस्थान का आदेश देना सरकार का संप्रभु अधिकार है. उनका कहना था कि 4 अधिनियमों-पासपोर्ट अधिनियम 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939, विदेशी अधिनियम 1946 और आप्रवास अधिनियम 2000 को निरस्त कर एक व्यापक अधिनियम बनाया जा रहा है.

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