अद्भुत है हिंदी, ये 5 बातें जानकार आपको भी होगा अपनी भाषा पर गर्व

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 14, 2022, 03:32 PM IST

Hindi Diwas 2022

Hindi Diwas 2022: हिंदी भाषा को लेकर अगर आपके मन में जरा सा भी झिझक है तो ये बातें जानना और भी जरूरी है.

डीएनए हिंदी: हिंदी दिवस का दिन हमें हर साल एक नए सिरे अपनी भाषा पर गर्व करने का मौका देता है. महात्मा गांधी हिंदी को जनमानस की भाषा कहते थे. इसके पीछे वजह भी यही है कि हिंदी सिर्फ हमारे लिखने-पढ़ने की ही नहीं बल्कि सोचने की भाषा भी है. हम हिंदी भाषा में ही सोचते हैं. हिंदी भाषा में ही किसी बात को ज्यादा गहराई से महसूस कर पाते हैं. अब जब हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस मना ही रहे हैं तो जानिए हमारे देश की राजभाषा हिंदी से जुड़ी कुछ खास और बेहद अहम बातें

क्यों 14 सितंबर को ही मनाया जाता है हिंदी दिवस
हिंदी को 14 सितंबर 1949 को ही राजभाषा का दर्जा दिया गया था, इस वजह से ही इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था लेकिन 1949 में 14 सितंबर के दिन संविधान सभा ने हिंदी को ही भारत की राजभाषा घोषित किया. 

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दुनिया में कितने लोग बोलते हैं हिंदी भाषा
रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनियाभर में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 75-80 करोड़ है. वहीं भारत में करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं. 

भारत के अलावा किन देशों में बोली जाती है हिंदी
दुनिया के करीब 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है. भारत के अलावा नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, युगांडा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और कनाडा जैसे तमाम देशों में हिंदी बोलने वालों की काफी संख्या है. 

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ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में भी शामिल हैं हिंदी के हजारों शब्द
हिंदी का जलवा दुनिया में इस तरह बुलंद है कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में भी हिंदी के कई हजार शब्दों को शामिल किया जा चुका है. इनमें  सूर्य नमस्कार, आत्मनिर्भरता, घी, गुलाब जामुन, चड्डी, बापू, अच्छा दिन, अब्बा जैसे कई शब्द शामिल हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी ने UN में हिंदी भाषा में दिया था भाषण
जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेशमंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने पहुंचे तो उन्होंने अपना भाषण हिन्दी में दिया था. यह भाषण पहले अंग्रेजी में लिखा गया था लेकिन अटल ने बड़े गर्व के साथ उसका हिंदी अनुवाद पढ़ा था. उनके भाषण के बाद UN तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था.

 

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