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Green Revolution ने भारत को कितना फायदा पहुंचाया? आखिर किस तरह आत्मनिर्भर बना भारत

Food Grain Production in India: कभी गेहूं के लिए अमेरिका का मुंह देखने वाला भारत 6 दशकों में इतनी तरक्की कर चुका है कि अब देश से गेहूं का निर्यात भी किया जाने लगा है.

Green Revolution ने भारत को कितना फायदा पहुंचाया? आखिर किस तरह आत्मनिर्भर बना भारत

हरित क्रांति के बाद आत्मनिर्भर बना भारत

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डीएनए हिंदी: साल 1965 भारत के लिए काफी मुश्किलों भरा था. एक तरफ पाकिस्तान ने भारत से युद्ध (India Pakistan War) छेड़ दिया था, दूसरी तरफ लड़ाई के दौरान ही अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन (Lyndon Johnson) ने भारत को धमकी दी कि अगर युद्ध बंद नहीं किया गया तो PL-480 के तहत दिया जाने वाले गेहूं की सप्लाई बंद कर दी गई. उस समय तक अनाज के मामले में भारत आत्मनिर्भर नहीं था. इसको ध्यान में रखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shashtri) ने देश से अपील की कि एक वक्त का भोजन बंद कर दिया जाए. पूरे देश ने अपने स्वाभिमानी प्रधानमंत्री का साथ दिया. इसी के बाद देश में हरित क्रांति का बीज बोया गया. नतीजा यह है कि 1965 की तुलना में अब गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) 1000 प्रतिशत बढ़ गया है.

कभी गेहूं के लिए अमेरिका का मुंह ताकने वाला भारत आज दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है. 1960 के दशक में भारत में गेहूं का उत्पादन सालाना 98.5 लाख टन था. यह उत्पादन साल 2021-22 में बढ़कर 1068.4 लाख टन तक पहुंच गया है. साल 2021-22 में भारत ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात भी किया.

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हरित क्रांति

प्रति हेक्टेयर उत्पादन में हुआ कई गुना इजाफा
वहीं, प्रति हेक्टेयर उपज की बात करें तो बीते छह दशकों में इसमें भी तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. खाद्यान्न का उत्पादन 757 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2021 में 2.39 लाख टन हो गया है. अब भारत कृषि से जुड़े ज्यादातर क्षेत्रों में या ता आत्मनिर्भर हो चुका है या फिर आत्मनिर्भर होने के बेहद करीब है.

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साल 2021-22 में खाद्यान्न उत्पादन पिछले पांच सालों की तुलना में 25 मिलियन टन ज्यादा होने की उम्मीद है. फसलों में चावल, मक्का, चना, दलहन, तिलहन और गन्ने का भी रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद जताई जा रही है. अनुमान है कि साल 2021-22 में गेहूं का उत्पादन 106.84 मिलियन टन रहेगा. पिछले पांच सालों के औसत की तुलना में यह 2.96 मिलियन टन ज्यादा है.

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