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Presidential election 2022: NDA की बैठक में शामिल हुए चिराग पासवान, क्या फिर से बढ़ाएंगे BJP से नजदीकी?

जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, नए सियासी समीकरण देखने को मिल रहे हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान NDA की अहम बैठक में शामिल हुए हैं.

Presidential election 2022: NDA की बैठक में शामिल हुए चिराग पासवान, क्या फिर से बढ़ाएंगे BJP से नजदीकी?

चिराग पासवान भी करेंगे द्रौपदी मुर्मू का समर्थन.

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डीएनए हिंदी: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों को लेकर रविवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की अहम बैठक में शामिल हुए हैं. चिराग पासवान की मौजूदगी की वजह से अब कई सियासी अटकलें लगाई जा रही हैं. चिराग पासवान की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बाहर होने के बाद उन्होंने सत्ताधारी एनडीए की बैठकों से दूरी बना ली थी.

चिराग पासवान ने कहा है कि बैठक में शामिल होने का मतलब यह नहीं है कि वह फिर से एनडीए का हिस्सा हैं. दूसरी बार लोकसभा सांसद बने चिराग पासवान कई अन्य सांसदों के साथ बैठक स्थल की ओर जाते दिखे, जिनमें ज्यादातर सांसद बीजेपी के थे. इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान पर एक प्रस्तुति दी गई. 

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चिराग पासावान ने बताई वजह क्यों हुए थे बैठक में शामिल

जमुई से सांसद ने हालांकि बाद में कहा कि बैठक में उनकी उपस्थिति सत्तारूढ़ गठबंधन की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उनके समर्थन के कारण थी. बाद में मुर्मू भी बैठक में शामिल हुईं. चिराग पासवान ने कहा कि उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. चिराग पासवान ने कहा, 'इसका मतलब यह नहीं है कि मैं राजग का हिस्सा हूं.'

एनडीए से नाराज चल रहे हैं चिराग पासवान

चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) का विरोध करने के चलते बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बाहर हो गए थे. बिहार में जद (यू) बीजेपी का सबसे बड़ा सहयोगी दल है. चिराग पासवान ने तब दावा किया था कि वह राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के सहयोगी बने हुए हैं और उन्होंने राज्य-विशिष्ट कारणों से बिहार में गठबंधन छोड़ दिया है. हालांकि, जद (यू) के कड़े प्रतिरोध के चलते वह राजग की बैठकों में शामिल नहीं हुए. 

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क्यों आई थी रिश्तों में खटास?

बीजेपी के साथ पासवान के संबंधों में तब खटास आ गई थी, जब उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने लोक जनशक्ति पार्टी तोड़ दी थी और उनके साथ पार्टी के अन्य सभी सांसद भी आ गए थे. पारस गुट को लोकसभा में असली लोजपा के रूप में मान्यता भी मिल गई थी और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ले ली थी. 

चिराग पासवान ने उन्हें उस सरकारी बंगले से बेदखल किए जाने के बाद बीजेपी पर निशाना साधा था, जो उनके पिता एवं दलित नेता रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था. (इनपुट: भाषा)
 

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