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'न संगठन, न सरकार, सबसे बड़ी जनता...', अखिलेश यादव का डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य पर तंज

यूपी के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा है. कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव हैं.' 

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'न संगठन, न सरकार, सबसे बड़ी जनता...', अखिलेश यादव का डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य पर तंज

Akhilesh Yadav and keshav prasad maurya

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समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के संगठन को सरकार से बड़ा बताने वाले बयान पर तंज कसा. अखिलेश ने शुक्रवार को कहा कि न संगठन बड़ा होता है, न सरकार, सबसे बड़ा जनता का कल्याण होता है. उन्होंने कहा कि संगठन और सरकार तो बस साधन होते हैं, लोकतंत्र में साध्य तो जनसेवा ही होती है.

अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया, 'जो साधन की श्रेष्ठता के झगड़े में उलझे हैं, वे सत्ता और पद के भोग के लालच में है, उन्हें जनता की कोई परवाह ही नहीं है. भाजपाई सत्तान्मुखी है, सेवान्मुखी नहीं.' यूपी के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा है. कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव हैं.' 

गौरतलब है कि लोकसभा में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद यूपी में उथल-पुथल मची हुई है. हाल ही में हुई बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ और कैशव प्रसाद मौर्य के बयानों में तल्खी देखी गई थी. इस बैठक के बाद मौर्य ने नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. हालांकि अभी तक न तो भाजपा और न ही मौर्य ने इस मुलाकात के बारे में कोई बयान दिया था.


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यूपी में भ्रष्टाचार अपने चरम पर
अखिलेश यादव ने पार्टी के राज्य मुख्यालय में डॉ0 लोहिया सभागार में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा में सत्ता संघर्ष छिड़ा हुआ है, जिसके कारण राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है. उन्होंने कहा, 'थाना-तहसील और दूसरे विभागों में जनता भटक रही है, बिना रिश्वत कोई काम नहीं हो रहा है. जनता त्रस्त है. भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. 

सपा अध्यध्य ने पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रदेश में संभावित 10 विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए आगाह करते हुए कहा कि भाजपा लोकतंत्र को कमजोर करने में लगी है और उसके मातृ संगठन आरएसएस का एजेंडा लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही थोपना है. इन दोनों की कोशिश है कि विधानसभा के उपचुनाव में साजिश करके जैसे तैसे लोकतंत्र की पवित्रता भंग की जाए.

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