सेहत
मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में हर 3 में से 1 व्यक्ति मस्तिष्क विकार से ग्रस्त है. वहीं तंत्रिका संबंधी विकारों के कारण हर साल करीब 11 मिलियन (1 करोड़ दस लाख) लोगों की जान चली जाती है.
World Health Organisation Report: मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में हर 3 में से 1 व्यक्ति मस्तिष्क विकार से ग्रस्त है. वह व्यक्ति ऐसी स्थितियों के साथ जी रहा है, जो उसके मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, तंत्रिका संबंधी विकारों के कारण हर साल करीब 11 मिलियन (1 करोड़ दस लाख) लोगों की जान चली जाती है.
मृत्यु और विकलांगता में योगदान देने वाली शीर्ष 10 तंत्रिका संबंधी स्थितियों के रूप में स्ट्रोक, नवजात शिशु मस्तिष्क विकृति, माइग्रेन, अल्जाइमर रोग और अन्य मनोभ्रंश, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिन्जाइटिस, इडियोपैथिक एपिलेप्सी, समय से पहले जन्म से जुड़ी तंत्रिका संबंधी जटिलताएं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और नर्वस सिस्टम कैंसर को पहचाना गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, तंत्रिका संबंधी स्थितियां अब वैश्विक आबादी के 40 प्रतिशत से अधिक को प्रभावित करती हैं, फिर भी दुनिया में 3 में से एक से भी कम देशों के पास न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (तंत्रिका संबंधी विकारों) से निपटने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति है. इसके अलावा इन बीमारियों के उच्च बोझ के बावजूद, निम्न-आय वाले देशों में उच्च-आय वाले देशों की तुलना में 80 गुना से भी कम न्यूरोलॉजिस्ट हैं. कई निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में राष्ट्रीय योजनाओं, बजट और वर्कफोर्स का भी अभाव है.
WHO के स्वास्थ्य संवर्धन, रोग निवारण एवं नियंत्रण विभाग के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फरार के मुताबिक, "दुनिया में हर 3 में से एक से ज्यादा लोग अपने मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं, इसलिए हमें उनकी जरूरतों के अनुसार स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए. उन्होने आगे कहा इनमें से कई तंत्रिका संबंधी बीमारियों को रोका जा सकता है या उनका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है, फिर भी ज्यादातर लोगों की पहुंच इन तक नहीं है.
खासकर ग्रामीण और अल्प-सेवा वाले क्षेत्रों में, जहां इसे सामाजिक कलंक के तौर पर देखा जाता है. उनका बहिष्कार किया जाता है और उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि हम मरीजों और उनके परिवारों को प्राथमिकता दें और मानसिक सेहत को प्राथमिकता दी जाए और उसमें समुचित निवेश किया जाए.
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