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मांसपेशियों और पीठ में दर्द समेत ये लक्षण हो सकते हैं Yellow Fever के संकेत, भूलकर भी न करें अनदेखा

Yellow Fever: येलो फीवर से बचाव के लिए हाल ही में तमिलनाडु में तीन टीका केंद्र खोले गए हैं. आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और इसके लक्षण क्या हैं...

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मांसपेशियों और पीठ में दर्द समेत ये लक्षण हो सकते हैं Yellow Fever के संकेत, भूलकर भी न करें अनदेखा

येलो फीवर के लक्षण 

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मौसम बदलते ही कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इन्हीं में से एक है येलो फीवर (Yellow Fever). हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक पीला बुखार (Yellow Fever Symptoms) एक वायरल बीमारी है जो कि संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है. हाल ही में इस बीमारी से बचाव के लिए तमिलनाडु (Tamilnadu) में इसके लिए तीन टीका केंद्र खोले गए हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस संक्रमण के कारण अक्सर लोगों को बुखार (Fever) हो जाता है और इसकी वजह से मांसपेशियों में गंभीर दर्द और ऐठन की समस्या हो सकती है. आइए जानते हैं क्या है येलो फीवर और इसके लक्षण व बचाव के उपाय क्या हैं....


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क्या है येलो फीवर

येलो फीवर में तीन तरह के फेज होते हैं, इनमें पहला सिल्वेटिक (जंगली), दूसरा मध्यवर्ती और तीसरा शहरी है. पहले फेज में बंदरों और जानवरों को जब मच्छर काट लेते हैं और उससे वायरस मनुष्यों में फैलता है. दूसरा फेज में घरेलू मच्छर जो घरों के भीतर या जंगली इलाकों में घरेलू स्तर पर पैदा होते हैं और फिर लोगों को या जानवरों को काटते हैं. इसके अलावा तीसरे या अंतिम फेज में जनसंख्या और मच्छर दोनों की संख्या काफी ज्यादा है.  

येलो फीवर के लक्षण

येलो फीवर के शुरुआती लक्षण सप्ताह भर में दिखाई दे सकते हैं और इससे व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. 

  • मांसपेशियों और पीठ में दर्द की समस्या
  • बीमार महसूस होना या फिर उल्टी 
  • थकान की समस्या
  • शरीर में दर्द 
  • जी मिचलाने की समस्या
  • त्वचा व आंखों का पीला होना
  • तेज सिरदर्द की समस्या

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येलो फीवर का इलाज

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक येलो फीवर का इलाज फिलहाल संभव नहीं है. लेकिन इस फीवर में डॉक्टर ढेर सारा पानी पीने की सलाह देते हैं. इसके अलावा इस फीवर से बचाव के लिए मरीज को वैक्सीन दी जाती है. साथ ही मरीज को नॉन स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं दी जाती है.  वहीं फीवर होने के बाद डॉक्टर को आराम करने की सलाह दी जाती है और गंभीर स्थिति में मरीज को कुछ समय के लिए एडमिट करवाया जाता है. 

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)

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