सेहत
जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय (एमएचएलडब्ल्यू) ने 10 अक्टूबर तक लगभग 3,000 नामित चिकित्सा संस्थानों से 6,013 इन्फ्लूएंजा मामलों की सूचना दी है. खबर सामने आने के बाद एक बार फिर पूरा विश्व दहशत में है. कोरोना की याद फिर ताजा हुई है.
विश्व के तमाम मुल्कों की तरह कोरोना का प्रकोप जापान ने भी झेला. भले ही महामारी से मुल्क का भारी नुकसान हुआ, लेकिन प्रयास जारी रखे गए और धीरे धीरे मुल्क पटरी पर लौटा. अभी जापान अन्य मुल्कों की तरह ढंग से व्यवस्थित भी नहीं हुआ था इस देश के ऊपर एक बार फिर मुसीबतों का पहाड़ है. पुनः जापान में लॉक डाउन जैसे हालात हैं. कारण बना है एक ऐसा फ्लू जिसने फिर कोरोना महामारी की यादें ताजा कर दी हैं. जापान के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सितंबर के अंत में शुरू हुए मामलों में अचानक और असामान्य रूप से शुरुआती वृद्धि दर्शाने वाली निगरानी के बाद देशव्यापी इन्फ्लूएंजा महामारी घोषित कर दी है.
जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय (एमएचएलडब्ल्यू) ने 10 अक्टूबर तक लगभग 3,000 नामित चिकित्सा संस्थानों से 6,013 इन्फ्लूएंजा मामलों की सूचना दी है, जो प्रति संस्थान औसतन दो मरीज़ हैं, जो आधिकारिक महामारी सीमा 1.00 से अधिक है.
कई प्रान्तों ने स्थानीय स्तर पर बहुत अधिक तीव्रता की सूचना दी है, जिसमें ओकिनावा में प्रति संस्थान सबसे अधिक संख्या (12.18) दिखाई गई, जबकि टोक्यो भी सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल और चाइल्डकेअर केंद्र विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं.
मीडिया और जन-स्वास्थ्य सारांशों से पता चलता है कि पिछले दो हफ़्तों में कई प्रान्तों में लगभग 135 स्कूल, किंडरगार्टन और चाइल्डकैअर केंद्र बंद कर दिए गए, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में लगभग तीन गुना ज़्यादा है.
ये बंदियां टोक्यो, ओकिनावा और कागोशिमा में ज़्यादातर जगहों पर हुई हैं. यामागाटा के एक प्राथमिक विद्यालय को उसके 36 में से 22 विद्यार्थियों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देने के बाद बंद कर दिया गया.
क्यों चिंताजनक है मामला
जन-स्वास्थ्य विशेषज्ञ तीन कारणों से चिंतित हैं:
1 - यह मौसम सामान्य से पांच हफ़्ते पहले शुरू हो गया, जो 20 वर्षों में दूसरी सबसे जल्दी फैली देशव्यापी महामारी है.
2- यह वृद्धि इतनी तेज़ है कि अस्पतालों में बाह्य रोगी और बाल चिकित्सा सेवाओं पर दबाव पड़ रहा है.
3- कुछ विशेषज्ञों को संकेत मिल रहे हैं कि प्रचलित इन्फ्लूएंजा के प्रकार तेज़ी से फैलने के लिए उत्परिवर्तित हो रहे हैं.
विशेषज्ञ लोगों से टीकाकरण बढ़ाने, बीमार होने पर घर पर रहने, उच्च जोखिम वाली जगहों पर मास्क पहनने और हाथों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखने का आग्रह कर रहे हैं. अस्पतालों में पहले से ही बाह्य रोगी विभागों में भीड़भाड़ और बाल चिकित्सा तथा वृद्धावस्था वार्डों में बिस्तरों और एंटीवायरल दवाओं की बढ़ती माँग की सूचना मिल रही है.
स्वास्थ्य अधिकारी टीकाकरण को प्रोत्साहित कर रहे हैं, खासकर बुजुर्गों, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए, और देखभाल में देरी करने के बजाय जल्दी परामर्श लेने को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
यात्रियों और आगंतुकों के लिए सुझाव
एमएचएलडब्ल्यू के अनुसार, पर्यटकों को भीड़-भाड़ वाले आंतरिक स्थानों में मास्क पहनने और बार-बार हाथ धोने जैसी स्वच्छता संबंधी सख्त आदतों का पालन करना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यात्रा स्वास्थ्य बीमा जापान में चिकित्सा देखभाल को कवर करता हो.
वैक्सीनेशन करवाएं: इन्फ्लूएंजा का टीका गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करता है, खासकर वृद्धों और पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए. एमएचएलडब्ल्यू ने अपने प्रेस नोटिस में टीकाकरण पर स्पष्ट रूप से ज़ोर दिया है.
अगर अस्वस्थ हैं तो घर के अंदर रहें: प्रसार को सीमित करने के लिए, लक्षण वाले लोगों को आपातकालीन कक्षों में भीड़ लगाने के बजाय फ़ोन पर या प्रारंभिक बाह्य रोगी परामर्श के माध्यम से चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए.
स्वच्छता और मास्क: हाथ धोना,खासी, और संवेदनशील लोगों के आसपास या भीड़-भाड़ वाले आंतरिक स्थानों में मास्क का उपयोग प्रभावी निवारक उपाय हैं.
भारत पर भी मंडरा रहा है खतरा
जापान में फ्लू के मामलों में शुरुआती उछाल का सीधा असर सिंगापुर, थाईलैंड और भारत सहित एशिया के विभिन्न हिस्सों में इन्फ्लूएंजा गतिविधि में व्यापक वृद्धि का एक हिस्सा है, जिससे वैज्ञानिकों को फ्लू के प्रसार के लिए पहले या अधिक स्थायी मौसमी अवधि की संभावना पर चिंता व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय सारांशों सहित वैश्विक निगरानी प्रणालियां, स्ट्रेन के विकास पर नज़र रख रही हैं और यदि आवश्यक हो, तो भविष्य के टीकों के निर्माण में समायोजन की सलाह दे सकती हैं.