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महाराष्ट्र में Guillain-Barre Syndrome से एक और मौत, अब तक 130 केस, जानिए इस वायरस के लक्षण

GBS वायरस में शरीर का हिस्सा अचानक सुन्न पड़ जाता है और मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला ‘बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी’ इस बीमारी का कारण बताया जाता है.

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महाराष्ट्र में Guillain-Barre Syndrome से एक और मौत, अब तक 130 केस, जानिए इस वायरस के लक्षण

Guillain-Barre Syndrome

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महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पुणे में जीबीएस वायरस से पीड़ित 36 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई. जिसके बाद इस बीमारियों से मरने वालों की संख्या बढ़कर 3 हो गई है. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, राज्य में जीबीएस के 130 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं.

अधिकारियों ने बताया कि शख्स एक कंपनी में चालक के रूप में काम करता था. 21 जनवरी को उसे पिंपरी चिंचवड़ के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल (YCMH) में भर्ती कराया गया था.

पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम ने बताया, 'YCMH के विशेषज्ञ समिति ने जांच की. जिसमें पता चला कि व्यक्ति को निमोनिया था. जिसकी वजह से उसे सांस लेने में बहुत कठिनाई हो रही थी. 22 जनवरी को डॉक्टरों ने उनका NCT (तंत्रिका चालन परीक्षण) टेस्ट कराया, जिसमें मरीज के जीबीएस से पीड़ित होने का भी पता चला.


डॉक्टरों ने व्यक्ति के मौत का कारण एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) बताया. इसके साथ ही महाराष्ट्र में संदिग्ध जीबीएस से मरने वालों की संख्या तीन हो गई है. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, राज्य में जीबीएस संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 130 हो गई है. इससे पहले बुधवार को 56 वर्षीय एक महिला की जीबीएस से मौत हो गई थी.

GBS Virus Symptoms: जीबीएस वायरस के लक्षण
सोलापुर के 40 वर्षीय व्यक्ति की 26 जनवरी को संदिग्ध तंत्रिका विकार से मौत हुई. GBS वायरस एक रेयर डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का कुछ हिस्सा अचानक सुन्न पड़ जाता है और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं.

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डॉक्टरों का मानना है कि आम तौर पर बैक्टीरिया और वायरल इंफ्केशन जीबीएस का कारण बनते हैं, क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं. राज्य में ज्यादातर मामले पुणे और आसपास के इलाकों से हैं. माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला ‘बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी’ इस बीमारी का कारण है.

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