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'सपनों की रेल' की पहली महिला ड्राइवर, जानें सुरेखा यादव की पढ़ाई से लेकर प्रेरणा तक की दास्तां

आज हम आपको भारत ही नहीं बल्कि एशिया की पहली महिला लोको पायलट से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने पुरुषों की 'जागीर' मानी जाने वाली रेलवे में पिछले 36 साल से सभी रूढ़ियों को चुनौती दिया, जानें उनकी सफलता की कहानी...

जया पाण्डेय | Sep 21, 2025, 09:28 AM IST

1.एशिया की पहली महिला लोको पायलट

एशिया की पहली महिला लोको पायलट
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एशिया की पहली महिला लोकोमोटिव पायलट सुरेखा यादव पिछले 36 साल से सभी रूढ़ियों को चुनौती देते हुए 30 सितंबर को अपनी नौकरी से रिटायर होंगी. मध्य रेलवे ने इसकी घोषणा की है. साल 1988 में वह भारत के साथ एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनी थीं. 

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2.सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से पढ़ी हैं सुरेखा यादव

सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से पढ़ी हैं सुरेखा यादव
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सुरेखा का जन्म महाराष्ट्र के सतारा में 2 सितंबर 1965 को सोनाबाई और रामचंद्र भोसले के घर हुआ था. उनके पिता स्वर्गीय रामचंद्र भोसले एक किसान थे और सुरेखा अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं. उनकी स्कूलिंग सतारा के सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से हुई है. 

3.सरकारी पॉलिटेक्निक से किया इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा

सरकारी पॉलिटेक्निक से किया इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
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स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए एडमिशन किया और फिर पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड में सरकारी पॉलिटेक्निक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया. 

4.क्यों नहीं कर पाईं बीएससी और बीएड की पढ़ाई?

क्यों नहीं कर पाईं बीएससी और बीएड की पढ़ाई?
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वह टीचर बनने के लिए मैथ्स से बीएससी और बीएड की पढ़ाई करना चाहती थीं लेकिन भारतीय रेलवे में नौकरी के अवसर ने उनकी आगे की पढ़ाई को रोक दिया. साल 1988 में उनका करियर शुरू हुआ. अप्रैल 2000 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के चार मेट्रो शहरों में लेडीज स्पेशल लोकल ट्रेन पेश करने के बाद उन्होंने मध्य रेलवे के लिए इसकी पहली ट्रेन चलाई.

5.ऐसा रहा सुरेखा यादव का करियर

ऐसा रहा सुरेखा यादव का करियर
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वह 2000 से 2010 तक उपनगरीय लोकल ट्रेन मोटर वुमन थीं. इसके बाद उन्हें 2010 में सीनियर लोको पायलट मेल में प्रमोट किया गया. उनके करियर की एक अहम घटना 8 मार्च 2011 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हुई , जब वह कठिन लेकिन सुंदर स्थलाकृति के माध्यम से पुणे से सीएसटी तक डेक्कन क्वीन को चलाने वाली एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं. 

6.2023 में बनीं वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली महिला लोको पायलट

2023 में बनीं वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली महिला लोको पायलट
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उन्होंने दस साल बाद मुंबई से लखनऊ तक एक पूरी तरह से महिला चालक दल के साथ यह कारनामा दोहराया. 2011 में एक आम टिप्पणी यह ​​थी कि महिलाएं रेलवे इंजन नहीं चलातीं. वह 2023 में सोलापुर से सीएसएमटी तक ट्रेन चलाकर पहली महिला वंदे भारत एक्सप्रेस लोको पायलट भी बनीं. अपनी उपलब्धियों के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान प्राप्त हुए हैं.

7.रिटायरमेंट की खबर पर आनंद महिंद्रा भी हुए इमोशनल

रिटायरमेंट की खबर पर आनंद महिंद्रा भी हुए इमोशनल
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महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट कर उन्हें रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं. उन्होंने लिखा, 'आज हमें यह याद दिलाने के लिए धन्यवाद कि आप जैसे प्रतिष्ठित परिवर्तनकर्ताओं का सम्मान किया जाना चाहिए और आपके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए.'

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