डीएनए स्पेशल
येल्लाप्रगद सुब्बाराव ऐसी शख्सियत हैं, जिनका नाम विज्ञान के फलक पर बहुत ज्यादा नज़र नहीं आता. कम ही लोग उन्हें जानते हैं, लेकिन वह एक जरूरी नाम हैं.
डीएनए हिंदी: यदि आप उन्हें नहीं जानते हैं, जिन्हें जानना चाहिए तो यह आपका दुर्भाग्य है न कि उनका. यदि आप उन्हें जानते होते तो आप अधिक समृद्ध होते, अधिक कर्मठ और मानवीय भी.बड़े और महान लोगों के जीवन-सार में वह तत्व निहित होता है, जिसमें मूल्यवत्ता होने के साथ-साथ ऐसा करने की शक्ति निहित होती है.
येल्लाप्रगद सुब्बाराव ऐसी ही शख्सियत हैं, जिनका नाम विज्ञान के विस्तीर्ण फलक पर एकबारगी नज़र नहीं आता. कम ही लोग उन्हें जानते हैं. डॉ. सुबोध महंती इसके उत्तर में एक अमेरिकी कथन उद्धृत करते हैं. उद्धरण इस प्रकार है- 'आपने डॉ. येल्लाप्रगद सुब्बाराव के बारे में संभवत: कभी नहीं सुना होगा. फिर भी अगर आप स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं तो इसमें उनका योगदान हो सकता है. उनके कारण आप अधिक दिनों तक जीवित रह सकते हैं.'
सबसे बड़ा गुण था उनकी नेतृत्व क्षमता
डॉ. महंती का कथन भी पहेली की नाईं है. वस्तुत: चिकित्सा के क्षेत्र में सुब्बाराव का अतुल्य और अमूल्य योगदान उन्हें ऐसा कहने को प्रेरित करता है. डॉ. महंती बताते हैं - 'उन्होंने फॉलिक एसिड विटामिन, टेट्रासाइक्लीन, एंटी बायोटिक्स, फाइलेरियारोधी दवा, मलेरियारोधी दवा समेत अनेक औषधियों का विकास किया. उन्होंने जैव-रसायन की कुछ मूलभूत अवधारणाओं पर कार्य किया. उनकी रुचि अनुसंधान तक ही सीमित नहीं थी. उन्होंने बॉक्सिंग, बॉलिंग, टेनिस, गोल्फ, तीरंदाजी, तैराकी और घुड़सवारी में भी हाथ आजमाए. मृत्यु से कुछ माह पूर्व 15 अक्टूबर, 1947 को उन्हें निजी पायलट का लाइसेंस मिला था. उनका सबसे बड़ा गुण था उनकी नेतृत्व क्षमता.
ये भी पढ़ें- ये थे ISRO की स्थापना करने वाले Rocket Boys, इनकी दोस्ती भी पेश करती है मिसाल
किसी चीज को पाने का उनका 'उत्साह' उन्माद का रूप लेता था. येल्लाप्रगद का जीवन संकटों और संघर्षों की दास्तां है. इस दास्तान का उजला पक्ष यह है कि वे कभी भी विचलित नहीं हुए और उन्होंने लक्ष्य को कभी भी दृष्टि से ओझल नहीं होने दिया. आंध्र प्रदेश में पश्चिमी गोदावरी में एक स्थान है भीमा वरम. यहीं 12 जनवरी, 1895 को येल्लाप्रगद का जन्म हुआ था. पिता जगन्नाथम स्टेट रेवेन्यू सर्विस में थे, किन्तु समय पूर्व आकस्मिक सेवा निवृत्ति से उनकी पेंशन अत्यल्प थी. वे विटामिन की कमी से उत्पन्न रोग बेरी-बेरी से भी ग्रस्त थे. परिवार को ऐसी आर्थिक बदहाली ने घेरा कि परिवार को येल्लाप्रगद को विधवा मौसी के मोदेकुर्रू स्थित घर में आसरा लेना पड़ा.
पेट की बीमारी से हुआ भाइयों का निधन
येल्लाप्रगद खूब ख्याली पुलाव पकाते थे. घर से भागने का ख्याल उनका पीछा न छोड़ता था. उनकी धारणा बन गयी कि वाराणसी जाकर तीर्थयात्रियों को केले बेचेंगे तो लाखों कमा लेंगे. फलत: भाग निकले, मगर पकड़े गए. नरसापुर के टेलर हाईस्कूल में भर्ती हुए, तो मैट्रिक नहीं कर सके. एक बार नाम भी कटा. फलत: राजामुंद्री के वीरेसलिंगम थीइस्टिक स्कूल में भर्ती हुए, लेकिन यहां भी नापास. तदंतर मद्रास के ट्रिपलिकेन में हिंदू हाईस्कूल में दाखिला लिया. ईश्वर की कृपा से उन्हीं दिनों पिता के देहान्त के बावजूद मैट्रिक में पास हो गए और इंटरमीडिएट के लिए मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश मिल गया. उनके विषय थे गणित, भौतिकी और रसायन. साथ में अंग्रेजी और तेलुगु. उत्तीर्ण होकर उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया. रामकृष्ण मिशन के आदर्शों ने उन्हें प्रभावित किया. संभवत: मिशन के अनुरोध पर ही उन्होंने औषधि क्षेत्र को बतौर करियर चुना. चिकित्सा अनुसंधान के प्रति उनका अनुराग भविष्य में कम न हुआ.
ये भी पढ़ें- Crude Oil की बढ़ती कीमतों के बीच Petrol और Diesel के दाम में राहत जारी, देखें फ्रेश प्राइस
पहले बी.नारायण मूर्ति ने उनकी मदद की, फिर कस्तूरी सूर्यनारायण मूर्ति ने तंगदस्ती में उन्हें उधारी दी. किसी तरह समय के पहिये घिसटते रहे. बाद में दुर्दिनों में मददगार कस्तूरी अम्मा की बिटिया उनकी जीवनसंगिनी बनी. चिकित्सा की पढ़ाई के दरम्यान सुब्बाराव पर महात्मा गांधी का गहरा असर पड़ा. उन्होंने विलायती चीजों का त्याग कर दिया. गांधी का रंग इतना गाढ़ा था कि वे शल्य क्रिया के दौरान भी खादी का गाउन पहन लेते थे. इससे उनके सर्जरी के प्रोफेसर एमसी ब्रैडफील्ड नाराज हो गए. उनकी खफगी से सर्जरी में प्राप्तांक कम रहे, फलत: उन्हें एमबीबीएस के बजाय एलएमएस की डिग्री मिली. दोबारा परीक्षा देकर वे एमबीबीएस हो सकते थे अथवा प्रैक्टिस भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने अमेरिका जाकर ट्रॉपिकल मेडीसिन की पढ़ाई का निश्चय किया. सन् 1921 में हार्वर्ड स्कूल में पीजी के लिए उन्हें दाखिला भी मिल गया, लेकिन अर्थाभाव ने उनके पांवों में जंजीर डाल दी. भाई पुरुषोत्तम उन्हें काकीनाडा के नायकर चैरिटी से छात्रवृत्ति नहीं दिला सके. उलटे पुरुषोत्तम और फिर छोटे भाई कृष्णमूर्ति का पेट की बीमारियों से निधन हो गया.
जड़ी-बूटियों पर किया शोध
मद्रास मेडिकल सेवा में प्रवेश का यत्न भी बेकार गया तो वे मद्रास आयुर्वेदिक कॉलेज में फिजियोलॉजी और एनाटोमी के लेक्चरर हो गए. डॉ. लक्ष्मीपति का यह उपक्रम आयुर्वेद को समर्पित था. पश्चिमी पद्धति के मुकाबले आयुर्वेद को प्रतिष्ठित करने की आकांक्षा ने वैद्यकी के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की. असफलताओं और आघातों के बावजूद येल्लाप्रगद अपनी साध नहीं भूले थे. आयुर्वेद में उन्हें राह दिखी. उन्होंने असंख्य जड़ी-बूटियों को मानकीकृत आधार पर संजोने का प्रयास किया. छात्रों के सक्रिय सहयोग से उन्होंने उत्तर भारत की भेषज-वनस्पतियों पर प्रामाणिक पुस्तक लिखी. चरक, सुश्रुत, दृढ़बल, वृंद और वाग्भट की कृतियां उनकी पुस्तक का आधार बनीं.
खाते में इन उपलब्धियों के दर्ज होने के बाद उन्होंने अमेरिका जाने का पुन: निश्चय किया. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडीसिन के डीन रिचर्ड स्ट्रॉन्ग को उन्होंने अपना बायोडाटा भेजा. उसमें आयुर्वेद का उल्लेख देख उन्होंने उत्तर दिया, 'हमें नहीं लगता कि हम आपकी कोई मदद कर सकते हैं. आप भारत में ही अपना अध्ययन जारी रखें.' डॉ. सुब्बाराव हताश न हुए. उन्होंने कैफियत देते हुए स्ट्रांग को पुन:पत्र लिखा. अप्रैल, 1923 को उन्हें संदेश मिला, सितंबर में आपका दाखिला होगा. कोई वजीफा नहीं मिलेगा.'
साध पूरी हो रही थी, लेकिन पैसों की किल्लत थी. गाढ़े समय में श्वसुर फिर काम आए. उन्होंने दामाद की हथेली पर 2500 रुपये रखे. तब न्यूयॉर्क तक का किराया था 1300 रुपये. 26 अक्टूबर, 1923 की रात डॉ. राव बोस्टन पहुंच गए. जेब में बचे थे फकत सौ डॉलर. 50 डॉलर अग्रिम शुल्क के रूप में अदा करने थे. ऐसे वक्त में डॉ. स्ट्रांग ने मदद की. उनके दिये डॉलर काम आए, लेकिन न तो उन्हें कोई छात्रवृत्ति मिली और न ही कहीं इंटर्नशिप. उन्होंने पीटर ब्रेंट ब्रिघम अस्पताल में नौकरी कर ली. बतौर सफाईकर्मी रात को तीन घंटे उनका काम था मूत्रालयों और शौचालयों की सफाई.
ये भी पढ़ें- Knowledge News: पुराने समय में कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी, कोई दूसरा पक्षी क्यों नहीं?
आखिरी सांस तक करते रहे दवाओं पर शोध
1 जून, 1924 को उन्हें डिप्लोमा प्रमाणपत्र मिल गया. जैव रसायन में जागृत रुचि के तहत वे साइरस हार्ट वेल फिस्के के साथ काम करने लगे. दोनों ने रक्त और मूत्र में मौजूद कार्बनिक फास्फोरस, अकार्बनिक फास्फोरस, कार्बनिक फास्फेट तथा लाइपॉइड फास्फोरस के कैलोरी आकलन का उपाय खोजा. फास्फोक्रिटीन और एटीपी पर उनके कार्यों उनके उक्त विधियों को चौथे दशक में जीव रसायन के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. दोनों ने मांसपेशियों के कई रहस्यों को भी उद्घाटित किया.
सन् 1980 में उन्हें हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से पीएचडी की उपाधि मिल गयी. आर्थिक दुश्चिंताएं यथावत थीं. तब जैव रसायन विभाग के प्रमुख प्रो. ओटो फालिन ने सहायता की. उन्हें विश्वविद्यालय में कनिष्ठ पद भी मिल गया, लेकिन सन् 1940 में वे लेडरले प्रयोगशाला में चले गये. वहां अनुसंधान कार्यों का निदेशन करते हुए वे मृत्युपर्यंत दवाइयों की खोज करते रहे. उनकी मृत्यु अगस्त, 1948 में हुई. उनके शोधपत्रों और उनकी खोजों ने मनुष्य को निरोग रखने के साथ ही उसकी दीर्घायु में भी मूल्यवान योगदान दिया.
डॉ. सुधीर सक्सेना लेखक, पत्रकार और कवि हैं. 'माया' और 'दुनिया इन दिनों' के संपादक रह चुके हैं.)
(यहां दिए गए विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
Kanpur: सात महीने तक छात्रा के साथ दुष्कर्म, एक साल बाद कोचिंग शिक्षकों के खिलाफ दर्ज कराई FIR
Encounter: जम्मू-कश्मीर के सोपोर में एक आतंकी ढेर, सुरक्षाबलों ने इस तरह किया दहशतगर्द का खात्मा
गुजरात में भयानक सड़क हादसा, एक साथ टकराए तीन वाहन, 38 घायल, कुछ की हालत बेहद गंभीर
Game Changer teaser: पैसा वसूल है राम चरण की फिल्म का टीजर, एक्शन-पॉलिटिक्स और रोमांस सबकुछ मिलेगा
लड़कों का शौकीन SDM? बंदूक के दम पर Haryana में PCS अफसर ने दलित पुरुष से किया कुकर्म, पहुंचा जेल
ये क्या एक साथ 43 बंदर रिसर्च लैब से फरार! फिल्मी सीन नहीं सच्ची घटना, जान लें पूरा मामला
Bigg Boss 18: इस कंटेस्टेंट के सपोर्ट में उतरे Elvish Yadav, एलिस कौशिक की खूब लगाई क्लास
इस करीबी शख्स के निधन से टूट गईं Kangana Ranaut, शेयर किया भावुक पोस्ट
Game Changer टीजर लॉन्च से पहले नंगे पांव नजर आए Ram Charan, दिल खुश कर देगी वजह
बदलते मौसम में त्वचा की समस्याओं को कहें बाय-बाय! फॉलों करें ये 5 आसान टिप्स
आपकी लव लाइफ का बाजा बजा देंगी ये 5 बुरी आदतें, देखें PHOTOS
Viral Video: फेम पाने के लिए इंफ्लुएंसर ने नाश्ते में खा ली अजीब चीज, Video देख लोग रह गए दंग
सुबह की चाय छोड़कर पिएं इस मसाले का पानी, बीमारियों से रहेंगे कोसों दूर
Viral Video: मुंबई लोकल में शख्स ने किया ऐसा जुगाड़, देखने वाले रह गए हैरान
गरीबों की सेवा करने से चमक जाता है ये ग्रह, कुंडली में खराब स्थिति में होने पर भी देता है शुभ फल
किचन में मौजूद ये सफेद खजाना कंट्रोल में रखेगा यूरिक एसिड, जानें इस्तेमाल करने का तरीका
सिनेमा हॉल में पॉपकॉर्न का पैसा बचाने का नया जुगाड़, सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा Video
UP: स्कूल जाती लड़की को सड़क पर रोक पिलाया जहर, पिता से थी दुश्मनी
Public Holiday: सरकार ने 2025 के लिए जारी की छुट्टियां, यहां देखें पूरी लिस्ट
Delhi: जेल से बाहर निकलकर मांगी फिरौती, न मिलने पर दिया बड़ी घटना को अंजाम
आंखों की रोशनी से लेकर इम्युनिटी बढ़ाने तक, इस फल को खाने से मिलेंगे कमाल के फायदे
UP: 6 साल की बच्ची के साथ टॉयलेट में किया दुष्कर्म, फिर गंभीर हालत में छोड़ फरार हुए आरोपी
US: डोनाल्ड ट्रंप की हत्या करवाना चाहता था ईरान! भाड़े के शूटर को दी सुपारी, एफबीआई ने किया नाकाम
Jharkhand: 'भारत कोई धर्मशाला नहीं', JMM सरकार को घेरते हुए शिवराज सिंह चौहान ने क्यों कही ये बात
UP News: फिरोजाबाद में दर्दनाक सड़क हादसा, मौके पर 5 की मौत, कई घायल
Singham Again के बाद इन फिल्मों में नजर आएंगे Ajay Devgn, फैंस के लिए है बड़ा सरप्राइज
MP: नाम पूछ कर हत्यारों ने छलनी कर दिया सीना, घर के बाहर टहल रहे युवक की बेरहमी से हत्या
Astrology Zodiac Signs: इन 4 राशियों के लोग मिनटों में पकड़ लेते हैं झूठ, नहीं चल पाती सफाई
Bigg Boss 18: Rajat Dalal ने दी Vivian Dsena को थप्पड़ मारने की धमकी, Digvijay ने भी कही ये बात
Maharashtra Election 2024: रैली में PM Modi की फोटो नहीं लगाएंगे Nawab Malik, बोले- मेरी मर्जी
US Election : Trump की तारीफ कर बहादुर बताना, Putin की मुहब्बत कम मजबूरी ज्यादा है!
पापा Shah Rukh Khan को Aryan ने बताया 'मार्केटिंग किंग', सुपरस्टार की तारीफ में पढ़े कसीदे
IND vs SA 1st T20: डरबन में आया Sanju Samson का तूफान, शतक जड़कर रचा इतिहास
Champions Trophy 2025: पाक को हजम नहीं हुआ चैंपियंस ट्रॉफी पर भारत का इंकार, BCCI से कर दी ये मांग
ठंड के मौसम में भिगोकर खाएं ये 2 Dry Fruits, सेहत को मिलेंगे जबरदस्त फायदे
Delhi Airport पर हार्ट अटैक से जाने वाली थी पैसेंजर की जान, अचानक ऐसे देवदूत बन गया एक शख्स
मुस्लिम लड़की की शादी के कार्ड पर छपी इस तस्वीर को जिसने भी देखा हैरान रह गया! वायरल फोटो
OTT पर राज करती हैं ये 5 हसीनाएं, फीस से लेकर नेटवर्थ जान लगेगा झटका
IND vs PAK: भारत-पाकिस्तान मैच की तारीख का ऐलान, जानें कब और कहां खेला जाएगा मुकाबला
Cholesterol और Diabetes के मरीजों के लिए रामबाण है ये सस्ती सब्जी, मिलते हैं कई और भी फायदे
Mahakumbh 2025: 'कुंभ में गैर-सनातनी न लगाएं दुकानें', संतों की मांग पर प्रशासन ने दिखा दिया ये कागज
Suniel Shetty जल्द बनने वाले हैं नाना, Athiya Shetty और KL Rahul ने शेयर की गुड न्यूज
आंखों पर दिखने वाले इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं Thyroid के संकेत