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DNA Women Achievers Awards 2023: बीमारी के कारण व्‍हीलचेयर पर सिमटी जिंदगी, मगर नहीं मानी हार, ऐसी है दीपा मलिक की कहानी

Deepa Malik: पैरा एथलीट दीपा मलिक ने देश के लिए एक मिशाल पेश की है. उन्होंने अपनी शारीरिक दुर्बलता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया.

DNA Women Achievers Awards 2023: बीमारी के कारण व्‍हीलचेयर पर सिमटी जिंदगी, मगर नहीं मानी हार, ऐसी है दीपा मलिक की कहानी

Deepa Malik

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डीएनए हिंदी: खेल हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा है. स्वस्थ शरीर और दिमाग को विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. खेल न केवल खुद को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि हमें जिंदगी में एक मुकाम देने का भी काम करता है. हमारे देश में ऐसे कई रोल मॉडल हैं जो हमें सबसे बड़ी ऊंचाइयों तक पहुंचने और सफल बनने के लिए प्रेरित करते हैं. ऐसी ही एक रोल मॉडल की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं. जिन्होंने उन व्हील चेयर पर बैठे लोगों को ताकत का एहसास कराया जो सोचते थे की हम देश के लिए कुछ नहीं कर सकते. उनकी कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है. हम बात कर रहे हैं दीपा मलिक की. दीपा मलिक वह पैरा एथलीट खिलाड़ी थीं, जिन्होंने देश को पैरालंपिक में पहला पदक दिलाया था.

दीपा मलिक को पांच साल की उम्र में पता चला कि उन्हें रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर है. तीन साल तक वह इसका इलाज कराती रहीं और फिजियोथेरेपी के बाद वह पूरी तरह ठीक भी हो गईं. लेकिन दुर्भाग्य से जब वह 29 वर्ष की थीं तब उनका ट्यूमर वापस आ गया. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि इसकी सर्जरी करनी पड़ेगी, लेकिन इसके बाद वह चल नहीं पाएंगी. दीपा के 31 ऑपरेशन किए गए. जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांगे लगे थे. इसके बावजूद उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी और अपने सपनों के लिए लड़ने का फैसला किया. दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ने उन्हें विश्व की प्रसिद्ध एथलीट बना दिया. 

दीपा मलिक गोला फेंक के अलावा भाला फेंक, तैराकी समेत अनेक खेलों में अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुकी हैं. उनका पालन-पोषण एक सैनिक परिवार में हुआ और एक सेना के अधिकारी से ही उन्होंने शादी हुई. मलिक ने कई बाधाओं का सामना करने के बावजूद अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी और एथलीट बनने के अपने सपने का पीछा करना जारी रखा. 12 सितंबर 2016 को 45 साल की उम्र में दीपा ने पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर पहली भारतीय महिला बनने का इतिहास रचा. उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में शॉट पुट में सिल्वर मेडल जीता. इस जीत से उन्हें नया आत्मविश्वास मिला. जिस उम्र में एथलीट रिटायरमेंट की तैयारी पर विचार करते हैं, उस उम्र में दीपा उड़ान भरकर बुलंदियों को छूने की तैयारी कर रही थीं.

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दीपा मलिक ने 30 साल की उम्र में अपने एथलेटिक्स करियर की शुरुआत की. गोला फेंक, तैराकी, भाला फेंक, डिस्कस थ्रो और बाइकर सहित कई तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. रियो पैलांपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली दीपा मलिक शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो की एक अच्छी एथलीट होने के साथ-साथ एक बेहतरीन बाइकर भी हैं. जिनके जोश और जज्बे के आगे उनकी जानलेवा बीमारी भी आड़े नहीं आ सकी. उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में 18 इंटरनेशनल और 54 नेशनल पदक जीते हैं. खासकर पैरालंपिक में रजत से पहले दुबई में 2018 पैरा-एथलेटिक ग्रैंड प्रिक्स चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था.

दीपा मलिक हिमालयन मोटरस्पोर्ट्स एसोसिएशन (HMA) और फेडरेशन ऑफ मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया (FMSCI) से भी जुड़ी हैं. उन्होंने एशिया पैरा खेलों में चार पदक जीते. जिसमें 2010 में भाला फेंक की एफ52-53 स्पर्धा का कांस्य, 2014 में भाला फेंक की एफ52-53 स्पर्धा में रजत और 2018 में दो कांस्य पदक (चक्का फेंक एफ52-53 और भाला फेंक एफ53-54) शामिल हैं.

दीपा मलिक देश की पहली अशक्त महिला हैं, जिन्होंने फेडरेशन मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया (FMSCI) से आधिकारिक लाइसेंस हासिल किया है. वह देश की सबसे मुश्किल कार रैलियों में शुमार रेड-डी-हिमालय (2009) और डेजर्ट स्टॉर्म (2010) में नेवीगेटर और ड्राइवर के तौर पर हिस्सा ले चुकी हैं. वह भारत में खेल मंत्रालय के तहत खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाले विभिन्न फाउंडेशनों की सदस्य और सक्रिय भागीदार हैं, जो राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं.

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दीपा को मिले कई अवार्ड
भारतीय टीम ने उनके नेतृत्व में टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास में सबसे अधिक पदक जीते थे. इसी ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए उन्हें एशियाई ऑर्डर 2022 से सम्मानित किया गया था, जो पैरा-स्पोर्ट्स में भाग लेने वाले सभी एशियाई देशों में सर्वोच्च सम्मान है. इसके अलावा 2012 में उन्हें देश के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार और 2017 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. दीपा को 2019 में महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से प्रथम महिला पुरस्कार और भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.  2020 में मलिक को पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (PCI) का अध्यक्ष नामित किया गया था.

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