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डीएनए एक्सप्लेनर
कुलदीप पंवार | Jun 17, 2025, 02:37 PM IST
1.तेज और ज्यादा घातक हो रहा है ईरान-इजरायल युद्ध
ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है. दोनों तरफ से हमले जारी हैं. इसके चलते अब तक दोनों तरफ से करीब 500 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 2,000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सेना के भी इस युद्ध में शामिल होने के संकेत दिए हैं. ऐसा हुआ तो यह युद्ध और ज्यादा खतरनाक हो जाएगा.
2.ईरान ने दे दी है परमाणु संधि से हटने की चेतावनी
ईरान ने सोमवार को कहा है कि उसकी संसद एक बिल तैयार कर रही है, जो इस इस्लामी देश को परमाणु अप्रसार संधि (nuclear Non-Proliferation Treaty) से बाहर कर देगा. यह बयान संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के उस आरोप के एक दिन बाद आया है, जिसमें तेहरान पर NPT के दायरे को तोड़ने की बात कही गई है. ईरान ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है.
3.ईरान पर पहले से ही लगे हुए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध
ईरान पर साल 2006 से परमाणु अप्रसार में संदिग्ध भूमिका के चलते अंतरराष्ट्रीय परमाणु प्रतिबंध लगे हुए हैं. उस पर अपने यूरेनियम संवर्धन प्रोग्राम को नहीं रोकने का आरोप है. ईरान ने साल 2015 में यह प्रोग्राम अमेरिका व अन्य यूरोपीय देशों के साथ JCPOA समझौता होने पर कुछ समय के लिए रोक दिया था, लेकिन साल 2018 में अमेरिका पर कई तरह के आरोप लगाते हुए उसने इसे दोबारा शुरू कर दिया था.
4.क्या है परमाणु अप्रसार संधि
परमाणु अप्रसार संधि (NPT) साल 1970 में अस्तित्व में आई थी. इसका मकसद परमाणु हथियारों को फैलने से रोकना, परमाणु हथियारों के खात्मे को बढ़ावा देना और इस पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों को शांतिपूर्ण कामों के लिए परमाणु ऊर्जा तक पहुंच उपलब्ध कराना था.
5.NPT के तहत परमाणु शक्तियों को कम करने थे अपने हथियार
NPT में परमाणु हथियार रखने वाले देशों के तौर पर केवल उन्हें मान्यता दी गई है, जिन्होंने 1 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियार बनाकर उसका परीक्षण कर लिया था. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस शामिल हैं. इन पांचों देशों को संधि के नियमों के तहत अपने परमाणु हथियार घटाने थे. हालांकि किसी भी देश ने अपने हथियार आज तक कम नहीं किए हैं. केवल अमेरिका और रूस ने दिखावे के तौर पर अपने पुराने हो चुके परमाणु हथियार रिटायर किए थे, जिन्हें एकतरह से एक्सपायर कहा जा सकता है.
6.भारत-पाकिस्तान ने नहीं किए हैं NPT पर हस्ताक्षर
अब तक इस संधि पर दुनिया के 191 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं. इस पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों में भारत, पाकिस्तान और इजरायल शामिल हैं. NPT हस्ताक्षर करने वाले सदस्य देशों के परमाणु हथियार रखने पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाती है और ना ही इसमें ऐसे प्रावधान विस्तार से दिए गए हैं, जो यह बताएं कि कब और कैसे परमाणु हथियार खत्म करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. भारत इसी कमी का हवाला देकर हस्ताक्षर करने से इंकार करता रहा है.
7.कैसे अलग हो सकता है कोई देश NPT से
NPT के आर्टिकल X में एक 'escape clause' दिया गया है, जो किसी भी देश को अभूतपूर्व स्थिति में इस संधि से अलग होने की इजाजत देता है. इस स्थिति में किसी देश के राष्ट्रीय हितों को खतरा होना भी शामिल है. ईरान अब इजरायल के हमला करने के चलते इसी क्लॉज का सहारा लेकर संधि से बाहर निकल सकता है. हालांकि इसके लिए संबंधित देश को 3 महीने का नोटिस अन्य देशों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) को देना अनिवार्य किया गया है. इस संधि की शर्तों की हर 5 साल में एक बार समीक्षा की जाती है. इसकी अगली समीक्षा बैठक साल 2026 में प्रस्तावित है.
8.ईरान साल 1970 से है NPT का मेंबर
ईरान साल 1970 से NPT का मेंबर है. उसका दावा है कि उसका यूरेनियम संवर्धन प्रोग्राम शांतिपूर्ण ऊर्जा हासिल करने के उद्देश्य तक सीमित है, लेकिन इजरायल, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को संदेह है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल करने में जुटा हुआ है.
9.क्या होगा यदि ईरान NPT से अलग हटता है तो?
यदि ईरान NPT से बाहर निकलता है तो वह उत्तर कोरिया के बाद ऐसा करने वाला दूसरा बड़ा देश बन जाएगा. उत्तर कोरिया ने साल 2003 में NPT से बाहर निकलने पर परमाणु बम बनाया था, लेकिन उसकी इकोनॉमी दूसरे देशों पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं है. इसके उलट ईरान की इकोनॉमी विदेशी व्यापार पर बेहद निर्भर है. ऐसे में ईरान के NPT से बाहर निकलने पर संयुक्त राष्ट्र उसके खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा, जो ईरान की इकोनॉमी को खत्म कर सकते हैं. साथ ही अमेरिका, इजरायल समेत अन्य देशों को उस पर हमला करने का भी मौका मिल जाएगा. ऐसा होना भी ईरान के हित में नहीं है. शिया मुस्लिम देश ईरान के परमाणु हथियार बनाने की तरफ बढ़ने पर खाड़ी के सुन्नी मुस्लिम देश यूएई, सऊदी अरब और मिस्र आदि भी उससे बचाव के नाम पर परमाणु हथियार बनाने की होड़ में जुट जाएंगे. ईरान के खिलाफ किसी भी कार्रवाई की स्थिति में चीन-रूस की तरफ से अमेरिका-इजरायल के विरोध में उतरा जा सकता है. ऐसा होने पर दुनिया में फिर से दो ध्रुवीय व्यवस्था बनने का खतरा पैदा हो जाएगा, जो हमेशा दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर बनाए रखेगा.