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What is Whip: व्हिप क्या होता है? सदन में इसका पालन ना करने पर क्या होती है कार्रवाई

What is Whip: जब फ्लोर टेस्ट होता है तो पार्टी व्हिप के जरिए अपने सभी सदस्यों को एक करती है और उन्हें विधायिका में उपस्थित होने का आदेश देती है.

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What is Whip: व्हिप क्या होता है? सदन में इसका पालन ना करने पर क्या होती है कार्रवाई
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डीएनए हिंदीः महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के आज शिंदे सरकार की अग्रिपरीक्षा है. शिंदे सरकार को आज फ्लोर टेस्ट (Floor Test) पास करना है. एक दिन पहले ही शिंदे गुट ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जीता था. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने भी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को नेता के तौर पर मान्यता दे दी है. शिवसेना की ओर से अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बनाया गया था. उद्धव गुट के सुनील प्रभु को चीफ व्हिप (Whip) के पद से हटा दिया गया है. आखिर व्हिप क्या होती है और इसका उल्लंघन करने पर विधायकों पर क्या कार्रवाई की जाती है?

व्हिप क्या होता है? What is Whip
जब भी फ्लोर टेस्ट होता है तो पार्टी अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करती है. दरअसल व्हिप विधायकों को क्रॉस वोटिंग से रोकने के लिए जारी की जाती है. व्हिप किसी भी राजनीतिक दल का एक अधिकारी होता है, जिसका काम विधायिका में पार्टी अनुशासन सुनिश्चित करना होता है. इसे सचेतक भी कहा जाता है. आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब होता है कि संगठन के इस व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी के सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा या अपनी इच्छा की बजाय पार्टी द्वारा तय किए नियमों या फैसलों को फॉलो करें. जब फ्लोर टेस्ट होता है तो पार्टी व्हिप के जरिए अपने सभी सदस्यों को एक करती है और उन्हें विधायिका में उपस्थित होने का आदेश देती है.

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कई तरह के होते हैं व्हिप
तीन तरह के व्हिप होते हैं- एक लाइन का व्हिप, दो लाइन का व्हिप और तीन लाइन का व्हिप. वन लाइन व्हिप में सदस्यों को वोट के लिए जानकारी दी जाती है. इस स्थिति में पार्टी सदस्य अपने हिसाब से फैसला ले सकते हैं. वहीं एक व्हिप होता है, जिसे टू लाइन व्हिप कहा जाता है. टू-लाइन व्हिप में सदस्यों को निर्देश दिया जाता है कि वो वोटिंग के वक्त सदन में मौजूद रहें और इसमें वोटिंग के लिए खास निर्देश जारी किए जाते हैं. थ्री लाइन व्हिप में सदस्यों का कहा जाता है कि वो पार्टी लाइन के हिसाब से ही वोट दें. ये सबसे सख्स व्हिप माना जाता है. व्हिप का उल्लंघन करने पर दलबदल कानून के तहत सदन से बर्खास्तगी की कार्रवाई तक की जा सकती है.

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