डेटा सुरक्षा बिल क्या है? केंद्र सरकार आगामी बजट सत्र में कर रही इसे लाने की तैयारी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 04, 2022, 09:38 PM IST

डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए अगले साल संसद सत्र में बिल पेश करेगी सरकार. बिना आपकी अनुमति के डेटा साझा नहीं कर सकेंगी कंपनियां. 

डीएनए हिंदी: तेजी से बढ़ते डि​जिटलाइजेशन के साथ ही देश में साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) बढ़ता जा रहा है. इसकी एक वजह आपके डिजिटल डेटा को बिना आपकी परमिशन के बेचा जाना भी है. इसी डेटा को पाकर ठग आपके साथ साइबर क्राइम कर देते है. आपके डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मोदी सरकार डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा ​बिल (Digital Data Protection Bill) लेकर आई है. सरकार अगले साल के सत्र में यह बिल पेश करेगी. इसका उद्देश्य कंपनियों द्वारा लीक किए जा रहे लोगों के निजी डेटा को सुरक्षित रखना है. डेटा सुरक्षा बिल क्या है और मोदी सरकार क्यों इसे लाने की तैयारी कर रही है, विस्तार से समझते हैं. 

जानिए क्या है डेटा सुरक्षा बिल

डेटा सुरक्षा​ बिल मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून का नाम है. डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल यानी डीपीडीपी विधेयक है. इसका मकसद लोगों की पर्सनल डिजिटल जानकारी को पूरी तरह से सुरक्षित रखना है. इस बिल को कानून बनाने के लिए मोदी सरकार इसे अगले साल संसद सत्र में पेश करेगी. यहां से पारित होने के बाद इसे कानून बनाया जा सकेगा.     

डिजिटल डेटा क्या होता है 

डिजिटल डेटा में आपका नाम,पता, बैंक अकाउंट, आधार नंबर, पैन नंबर और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां शामिल होती है. आपकी इन जानकारियों को डिजिटल रूप से अलग अलग कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में कुछ प्राइवेट कंपनियां आपके इस डेटा को बिना आपकी परमिशन के दूसरी कंपनियों को बेच देते हैं. यह साइबर ठगों के भी हाथ लग जाता है, जिसका इस्तेमाल कर लोगों के साथ साइबर क्राइम की वारदातों को भी अंजाम दिया जाता है. इसी को देखते हुए सरकार आपके डिजिटल डेटा को सुरक्षित करने की प्लानिंग कर रही है. इसके बाद फोन पे से लेकर पेटीएम समेत अन्य डिजिटल डेटा लेने वाली कंपनियां आपका डेटा किसी से साझा नहीं कर पाएंगी. 

बिना आप से पूछे डेटा शेयर नहीं कर सकेगी कंपनी 

मोदी सरकार द्वारा तैयार किए गए डिजिटल सुरक्षा ​बिल का उद्देश्य लोगों के डेटा को लीक होने से बचाना है. इसके लिए बिल में कई बदलाव किए गए है. इसमें अगर कोई कंपनी ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया या फिर डिजिटल पेमेंट ऐप आपकी बिना अनुमती के आपकी निजी जानकारी को शेयर या लीक करता है तो उस पर डेटा सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. सरकार उक्त कंपनी पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा सकती है. ​संभवत ऐसा होने पर साइबर फ्रॉड के मामलों में काफी गिरावट आएगी. 

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