डीएनए एक्सप्लेनर
ISIS ने सुन्नी मुस्लिम कट्टरपंथियों के एक गुट के तौर पर इराक में अमेरिकी सेना के खिलाफ शुरुआत की थी, लेकिन आज यह दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी संगठन बन चुका है. भारत में पिछले कुछ समय के दौरान ISIS का नाम बार-बार सामने आया है. हालांकि अभी तक यह संगठन कोई बड़ी घटना नहीं कर पाया है, लेकिन खतरा लगातार बढ़ रहा है. साथ ही बढ़ रही है भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियां भीं. पेश है इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट...
डीएनए हिंदी: रूस (Russia) ने सोमवार को अपने यहां एक सुसाइड बॉम्बर (Sucide Bomber) पकड़ने की घोषणा की, जो भाजपा (BJP) के किसी बड़े नेता पर हमले के लिए भारत (India) आ रहा था. रूस ने इस आतंकी के तार खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े होने का दावा किया है.
पिछले एक साल के दौरान जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अलग देश में पकड़े जा रहे आतंकियों के तार ISIS से ही जुड़े पाए गए हैं. ऐसे में ये सवाल बार-बार उठ रहा है कि क्या अब तक सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में सक्रिय रहा ये खूंखार आतंकी संगठन अब भारत में पैर पसार रहा है?
पहले जानते हैं कि ISIS की शुरुआत कहां से हुई
ISIS यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया की शुरुआत इराक (Iraq) से हुई. सद्दाम हुसैन (Saddam Hussain) की सत्ता खत्म होने के बाद अमेरिकी हमले में ध्वस्त हो चुके इराक में छोटे-छोटे बागी गुटों के बीच लड़ाई छिड़ गई, जिनमें एक गुट अबू बकर अल-बगदादी (abu bakr al-baghdadi) का था, जिसने इराक में दोबारा खलीफा की खलीफत (Caliphate) कायम करने की घोषणा की, जो दुनिया भर के मुस्लिमों का सर्वोच्च बादशाह हुआ करता था. साल 2006 में बगदादी ने अपने साथ बड़े पैमाने पर इराक के कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों के साथ ही सद्दाम हुसैन की सेना के जवानों को जोड़ लिया. इसके बाद उसने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक (ISI) के गठन की घोषणा की.
क्रूर हत्याओं के कारण आया चर्चा में
साल 2006 में हुई इस शुरुआत के बाद बगदादी के संगठन को इराक में थोड़ी सफलता भी मिली और कई इलाके उसके कब्जे में आ गए. बगदादी के IS को ज्यादा चर्चा दुश्मनों की हत्या करने के क्रूर तरीकों के कारण मिली, जिनमें विदेशी नागरिकों का कैमरे के सामने गला रेतकर हलाल करना भी शामिल था. साल 2011 के बाद IS ज्यादा शक्तिशाली दिखा, जब अमेरिकी सेना इराक छोड़कर चली गई. स्थानीय सरकार कमजोर थी और वह IS का सामना नहीं कर सकती थी.
कई हजार लड़ाके तब तक IS में शामिल हो चुके थे. हालांकि इसके बाद भी ज्यादा सफलता नहीं मिलती देखकर बगदादी सीरिया (SYRIA) चला गया. उसने अपने संगठन का नाम इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) कर दिया. यहां बगदादी के हाथ बड़े पैमाने पर वे खतरनाक हथियार और पैसे लगे, जो अमेरिका ने सीरियाई सरकार के खिलाफ विद्रोही लड़ाकों के लिए भेजे थे. इससे उसका संगठन ज्यादा खतरनाक हो गया.
2014 में खुलासा हुआ कि अमेरिका ने ही किया ISIS को खड़ा
ईरान के अखबार Tehran Times में जुलाई 2014 में एक इंटरव्यू आया. यह इंटरव्यू एडवर्ड स्नोडेन का था, जिसने 2013 में अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी की काली करतूतों का खुलासा किया था. स्नोडेन ने इस इंटरव्यू में यह कहकर तहलका मचा दिया कि ISIS को सीरिया में मजबूत करने का काम अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल ने मिलकर किया है. बगदादी के संगठन को ट्रेनिंग देने का काम इजराइल कर रहा है.
स्नोडेन ने दावा किया कि ISIS को मजबूत करने के पीछे अमेरिका की मंशा सीरिया, लीबिया और इराक के तेल पर कब्जा बनाए रखना है. इस दावे को तब मजबूती मिली, जब ऐसी रिपोर्ट सामने आई कि ISIS ने इन देशों में तेल के कुएं कब्जा लिए हैं और वह तेल निकालकर इंटरनेशनल मार्केट से रोजाना 26 करोड़ रुपये कमाता है.
मूल ISIS से भी ज्यादा खतरनाक है ISIS-K, भारत में यही सक्रिय
सीरिया में मौजूद बगदादी के ISIS से भी ज्यादा खतरनाक अफगानिस्तान में एक्टिव ISIS-K यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया- खुरासान प्रांत को माना जाता है. ISIS-K का गठन साल 2015 में तालिबान (Taliban) को चुनौती देने के लिए किया गया था. इसका गठन पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के पूर्व सदस्यों ने किया था और इस संगठन को सीरिया में मौजूद मूल ISIS ने अपने एक गुट के तौर पर मान्यता दी थी. उत्तरी अफगानिस्तान में इसकी जबरदस्त पकड़ मानी जाती है. स्थानीय अफगान लड़ाकों की मौजूदगी के कारण यह संगठन ज्यादा मजबूत है.
भारत में भी ISIS-K ही ज्यादा सक्रिय माना जाता है. हालांकि पिछले कुछ समय में पकड़े गए आतंकियों ने अपने कनेक्शन सीधे सीरिया से बताए हैं. इनमें दिल्ली के बाटला हाउस में पकड़ा गया मोहसिन और उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ व पटना के फुलवारी शरीफ में पकड़े गए आतंकी शामिल हैं. अफगानिस्तान में भी ISIS-K ने भारतीय मूल के सिख समुदाय को ज्यादा निशाना बनाया है. इसके करीब 4,000 लड़ाके बताए जाते हैं, जिनमें से करीब 1,500 लड़ाके तालिबान के सत्ता संभालने के बाद जेल से रिहा होने पर ISIS-K से जुड़े हैं.
अब बात करते हैं ISIS के भारत में तेजी से हो रहे फैलाव की...
ISIS मीडिया ने जारी किए हैं भारतीय समर्थकों के फोटो
ISIS का मौजूदा मुखिया अबू हसन अल-हाशमी अल-कुरैशी (Abu Hassan Al-Hashimi Al-Qurayshi) है. 31 अक्टूबर उसके चीफ बनने के बाद ISIS की मीडिया विंग ने दावा किया था कि पाकिस्तान और भारत से भी ISIS के बहुत सारे समर्थक उसके साथ जुड़े हुए हैं. उसकी तरफ से इन समर्थकों के भी फोटो जारी किए. इनमें भारतीय समर्थक मुंह लपेटे हुए थे, लेकिन एक फोटो में वैसा ही हैंड ग्रेनेड लाल रंग से मार्क करके दिखाया गया, जैसे हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल पठानकोट (Pathankot) में 21 नवंबर, 2021 को आर्मी कैंप पर हमले में किया गया था. इस फोटो के जरिए ISIS ने पंजाब (Punjab) में अपनी मौजूदगी की झलक दिखाई थी.
बेंगलूरु में पकड़े गए ISIS आतंकी से मिली थी 100 भारतीयों की जानकारी
राष्ट्रीय इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के एक पूर्व महानिदेशक के मुताबिक, 2014 में बेंगलूरू (Bengaluru) में ISIS का ट्विटर हैंडलर मेहदी बिस्वास उर्फ शमी पकड़ा गया था. बिस्वास के पास करीब 100 भारतीयों की जानकारी मिली थी, जो भारत में ISIS के लिए रिक्रूटर का काम कर रहे थे.
2017 में अफगानिस्तान पहुंचे केरल के 22 युवाओं की जानकारी मिली
NIA ने जनवरी, 2017 में केरल (ISIS in Kerla) के ऐसे 22 युवाओं की जानकारी मिलने का दावा किया, जो ISIS से ट्रेनिंग लेने के लिए अफगानिस्तान पहुंच चुके थे. इसके अलावा भी देश के अलग-अलग हिस्सों से युवाओं के ISIS के पास पहुंचने की जानकारी मिली है.
2017 में ही पहली बार ISIS ने की कोई घटना
भारत में पहली बार ISIS ने कोई हमला 2017 में ही किया. श्रीनगर (Srinagar) के जाकुरा (Zakura) एरिया में 17 नवंबर, 2017 को पुलिस पार्टी पर हमला किया गया, जिसमें एक सब-इंस्पेक्टर की मौत हो गई, जबकि एक SPO घायल हुआ था. इस हमले की जिम्मेदारी ISIS से जुड़े स्थानीय संगठन ISJK (इस्लामिक स्टेट जम्मू एंड कश्मीर) ने ली थी.
इसके बाद 25 फरवरी, 2018 को श्रीनगर के ही सौउरा (Soura) एरिया में हुर्रियत नेता फजल हक कुरैशी (Hurriyat leader Fazal Haq Qureshi) के घर के बाहर सुरक्षाकर्मियों पर हमले की जिम्मेदारी भी ISIS ने ली. इस हमले में भी एक पुलिसकर्मी मारा गया था. इसके बाद सुरक्षाबलों ने 22 जून, 2018 को अनंतनाग इलाके में चार आतंकी ढेर किए, जिनमें से एक की पहचान ISJK के चीफ दाउद अहमद सलाफी (Dawood Ahmad Salafi) के तौर पर की गई. घाटी में कई जगह ISIS के झंडे भी फहराने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
IPS अधिकारी ने किया है इस पर पूरा शोध
उत्तर प्रदेश कैडर (UP Cadre) के IPS अधिकारी असीम अरूण (IPS Aseem Arun) ने ISIS से भारत को खतरे पर अपनी पीएचडी के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (THE UNIVERSITY OF BRITISH COLUMBIA) में थिसिस जमा कराई है. इस थिसिस का सब्जेक्ट ISIS threat to India: How should India respond? रखा गया है. अरूण ने इस थिसिस में बताया है कि किस तरह ISIS तेजी से भारत में पैर पसार रहा है.
गजवा-ए-हिन्द है भारत में IS का टारगेट
भारत में ISIS का टारगेट 'गजवा-ए-हिन्द' को अंजाम देना है. गजवा-ए-हिन्द का मतलब है भारत के खिलाफ निर्णायक लड़ाई करना, जिसके बाद यहां इस्लाम की सत्ता कायम हो जाएगी और शरीयत का कानून चलेगा. ISIS का मुखपत्र या उसकी ऑफिशियल मैगजीन 'दाबिक' (Dabiq) के 12वें संस्करण में इस आतंकी संगठन ने भारत को लेकर अपना इरादा स्पष्ट किया था. इस संस्करण में ISIS ने बंगाल में खलीफा की सत्ता की रोशनी फैलाने के लिए जिहाद को जिंदा करने की चेतावनी दी थी.
ISIS का बंगाल से मतलब महज भारतीय पश्चिमी बंगाल नहीं था बल्कि उसने इसमें मौजूदा बांग्लादेश को भी जोड़कर विभाजन से पहले के बंगाल की बात की थी. इसके लिए उसका पहला टारगेट पश्चिमी बंगाल और बांग्लादेश में मौजूद आतंकी संगठनों को आपस में जोड़कर एक झंडे के तले लाना है.
ISIS की इस चेतावनी के बाद ही ढाका (Dhaka) में 1 जुलाई, 2016 को रमजान के महीने में भयंकर आतंकी हमला किया गया था. यह आत्मघाती आतंकी हमला बांग्लादेशी राजधानी के राजनयिक इलाके में एक हाईप्रोफाइल रेस्टोरेंट में किया गया था. इसमें बड़े पैमाने पर लोग मारे गए थे.
इसके बाद से भारतीय उपमहाद्वीप में लगातार ISIS का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. चाहे श्रीलंका में बम विस्फोट के मामले हों या पाकिस्तान, अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक में आतंकी हमले, लगातार ISIS का नाम सामने आता रहा है.
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