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DNA एक्सप्लेनर: सरकारों को क्यों नही पसंद आती Cryptocurrency?

क्रिप्टोकरेंसी में बहुत सोच समझकर निवेश करें. आने वाले समय में भारत सरकार इसे बैन कर सकती है.

DNA एक्सप्लेनर: सरकारों को क्यों नही पसंद आती Cryptocurrency?
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डीएनए हिंदी: क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) आंख मूंदकर खेले जाने वाला एक खेल है. हमें करेंसी में निवेश करते वक्त करेंसी का नाम तो पता रहता है लेकिन उसका जो संचालक होता उसके बारे में दूर-दूर तक कोई अता-पता नहीं होता है. आज यह करेंसी कई देशों की सरकारों के सामने एक चुनौती के रूप में खड़ी हो गई है. आइए जानते हैं क्यों सरकारें दुनिया के सबसे लोकप्रिय निवेश के विकल्प को नापसंद करने लगी हैं.

क्या होता है क्रिप्टोकरेंसी ?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होता है? आसान भाषा में क्रिप्टोकरेंसी  (Cryptocurrency) एक डिजिटल मुद्रा है जो क्रिप्टो एल्गोरिदम की मदद से काम करता है. यह पूरी तरह से डिजिटल करेंसी (digital currency) है इसका किसी भी तरह से कोई फिजिकल लेन-देन नही होता है. इसमें इन्वेस्टमेंट और प्रॉफिट डिजिटल सिग्नेचर (digital signature) के जरिए किया जाता है और इनका रिकॉर्ड क्रिप्टोग्राफी (cryptography) की मदद से रखा जाता है.

भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट?

भारत में अगर क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के बाजार की बात की जाए तो पिछले 12 महीनों में यह 641% की दर से बढ़ा है. 1 करोड़ डॉलर के क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) का ट्रान्सफर 42% भारत से हुआ है जो कि किसी भी अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा है. क्रिप्टोकरेंसी में अब तक भारतीयों के 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश हो चुके हैं. देश में कुल 4 क्रिप्टो एक्सचेंज काम कर रही हैं. 

क्रिप्टोकरेंसी क्यों असुरक्षित है?

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की सबसे पहली दिक्कत है कि यह बहुत असुरक्षित महसूस करवाती है क्योंकि क्रिप्टो को बनाने वाले डेवलपर के बारे में ही पता नहीं होता. उदाहरण के तौर पर आप दुनिया की सबसे बड़ी और लोक्रप्रिय क्रिप्टो बिटकॉइन (Bitcoin) को ही ले लीजिए. आज तक इसके डेवलपर को लेकर किसी के पास कोई ठोस नाम नहीं है. दूसरी बात यह है कि क्रिप्टो एक्सचेंज को लेकर किसी भी तरह की सरकार की तरफ से मंजूरी या लाइसेंस जरूरी नहीं है. क्रिप्टो एक्सचेंज रेगुलेशन नहीं होने की वजह से यह सेल्फ रेगुलेशन का दावा करता है. सबसे बड़ी बात इसमें केवाईसी (KYC) के बिना भी आप अपना अकाउंट खोल सकते हैं जिसकी वजह से इसमें किसी भी तरह की कोई पारदर्शिता नहीं है. उदाहरण के तौर पर डॉजकॉइन (Dogecoin), शीबा इनु कॉइन (Shiba inu coin) जैसे कॉइन्स ने निवेशकों का करोड़ों का नुकसान करवाया है. नियामक न होने की वजह से निवेशकों को यह नहीं पता है कि उन्हें शिकायत कहां करना है. 

क्रिप्टोकरेंसी में कितने प्रतिशत लोग धोखाधड़ी के हुए शिकार?

पिछले एक साल में हुए धोखाधड़ी से तुलना की जाए तो क्रिप्टो सम्बंधित अपराध में 79% की वृद्धि हुई है. साल 2021 में क्रिप्टो धोखाधड़ी और हैकिंग के जरिए चोरी होने की ख़बरें बहुत तेज़ी के साथ बढ़ी हैं और यह लगातार बढ़ रहा है इसलिए निवेशकों को संभलकर निवेश करने की ज़रूरत है.

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निवेश करने के और कौन से विकल्प मार्केट में मौजूद हैं?

निवेश करने के लिए सबसे सुरक्षित तरीकों में म्यूचुअल फण्ड, शेयर बाजार और बैंक हैं. आप इन सभी निवेश के विकल्पों में आसानी से निवेश कर सकते हैं. यह सभी विकल्प के तरीके सरकार के जांच और प्रतीक्षा अवधि से गुजरने के बाद ही निवेश के लिए निवेशकों के बीच लाए जाते हैं. क्रिप्टो मार्केट में इस तरह का कोई सरकारी सेफ्टी नेट नहीं है. अगर क्रिप्टो बाजार में मैनीपुलेशन हुआ तो निवेशक का नुकसान तय है क्योंकि उसके पास यह जानने का कोई कानूनी प्रावधान ही नहीं है कि उसके निवेश के साथ क्या हो रहा है. 

इस मामले में इंडियन रेवेन्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया— 'कोई भी मनी लीगल टेंडर होती है. इसे लीगल टेंडर इसलिए कहते हैं क्योंकि यह क़ानूनी होता है. कोई भी देश की गवर्नमेंट होती है वो उसके मानकों को अपनाती है जैसे भारत सरकार भी अपनी करेंसी पर रुपये लिखती है और यह भी कहती है कि मैं आपको इतने रुपये देने का वचन अदा करता हूं. इसका मतलब यह कि कोई भी इस नोट के बदले सामान ले सकता है. क्रिप्टोकरेंसी के बारे में बात करें तो यह लीगल टेंडर नहीं है और इसे कहीं से भी मान्यता प्राप्त नहीं है. यह एक तरह से ओल्ड स्कूल बार्टर जैसा है सामान के बदले सामान लेने वाले मामले जैसा है. इसपर किसी भी तरह की GST नहीं कटी, ना इनवॉइस गया, कोई टैक्स नहीं गया.

उन्होंने बताया कि ''क्रिप्टोकरेंसी एक कोडिंग के जरिए चल रही है जिसे एक स्ट्रॉन्ग कंप्यूटर काफी समय लेकर बनाता है. अब आपने कोई सामान इससे लिया तो सरकार इससे आपके लेन-देन पर नजर नहीं रख पाएगी. इसपर सरकार का किसी भी तरह का कोई कंट्रोल नहीं है. इसपर टैक्स नहीं आएगा इसमें ब्लैकमनी का इस्तेमाल ज्यादा है इस वजह से यह क्योंकि रेगुलेटेड नहीं है और यही वजह है कि इसे बैन करने या रेगुलेट करने की बात होती है."

हमने जब उनसे पूछा कि देश में 6 लाख करोड़ से ज्यादा लोगों ने निवेश किया है और अगर सरकार ऐसे में इसको बैन करने जैसा फैसला उठा लेती है तो इससे बहुत से लोगों को नुकसान हो सकता है. इसपर इंडियन रेवेन्यू के अधिकारी ने बताया— "यह किसी तरह का इन्वेस्टमेंट नहीं है. अगर इन्वेस्टमेंट करना है तो स्टॉक मार्केट में लगाओ. अभी क्रिप्टो रेगुलेटेड नहीं है और ना इसे स्वीकृति मिली है और ना ही अस्वीकृति मिली है. अगर सरकार इसे अवैध घोषित कर देती है तो भी इन्वेस्टर्स के पैसे नहीं डूबेंगे. निवेशकों के पैसों का सरकार लेखा-जोखा नहीं पा रही है तभी तो इसे अवैध घोषित कर रही है. अभी भी इसमें जो ज्यादा पैसे निवेश किए गए हैं वह ब्लैकमनी है, व्हाइट मनी इसमें बहुत कम लगा है. हालांकि सरकार इसे बैन करने से पहले विंडो देगी कि निवेशक क्रिप्टो में से पैसे निकाल लें.''

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रूस ने भी क्रिप्टो माइनिंग पर बैन लगाया

रूस के केन्द्रीय बैंक ने देश में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर बैन लगाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है जिसकी वजह से क्रिप्टो के वैल्यू में लगातार गिरावट देखी जा सकती है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी से रूस की वित्तीय स्थिरता को खतरा है और इससे लोगों को नुकसान होने के साथ ही देश की मॉनिटरी पॉलिसी भी प्रभावित हो रही है. कजाकिस्तान में इलेक्ट्रिसिटी की कुल जेनरेशन कैपेसिटी की लगभग 8% खपत क्रिप्टो माइनिंग के लिए हो रही है. यूरोपीय देश कोसोवो ने इलेक्ट्रिसिटी की अधिक खपत के कारण क्रिप्टो माइनिंग पर रोक लगाई है. देखा जाए तो लगभग सभी देश क्रिप्टो मार्केट के खिलाफ हो गए हैं.

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