बिहार चुनाव 2025
Bihar Assembly Elections 2025: तेज प्रताप यादव 2015 में महुआ सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2020 में वो यहां से चले गए और हसनपुर से चुनाव लड़ा था.
बिहार चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव सियासी रण में उतर गए हैं. तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. जिसमें तेज प्रताप ने खुद ऐसी सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जो आरजेडी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है. इतना ही नहीं, जो मौजूदा विधायक है वो तेजस्वी यादव का सबसे करीबी माना जाता है.
तेज प्रताप यादव ने 21 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. जिनमें उनका नाम भी शामिल है. तेज प्रताप महुआ से चुनाव लड़ेंगे. 2015 में वह इसी सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2020 में वो यहां से चले गए और हसनपुर से चुनाव लड़ा और जीता था.
RJD के लिए क्यों खास मानी जाती है महुआ सीट?
हाजीपुर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली महुआ विधानसभा में मतदाताओं की संख्या लगभग 2,78,625 है. इनमें यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और पासवान निर्णायक वोटर माने जाते हैं. एक विश्लेषण के मुताबिक, महुआ सीट पर यादव और मुस्लिम समुदाय के लगभग 35% वोटर्स हैं, जो जिसके पाले में चले जाएं उसकी जीत पक्की मानी जाती है. आरजेडी की इस सीट पर पकड़ मजबूत रही है. यह उसकी सेफ सीट मानी जाती है.
इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 2015 में जब तेज प्रताप यादव पहली बार आरजेडी प्रयाशी के रूप में महुआ सीट से चुनाव मैदान में उतरे तो 66,927 (43.34%) वोटों से बंपर जीत दर्ज की. उस समय RJD-कांग्रेस और वामदलों के साथ गठबंधन था. उनके विरोधी जीतन राम मांझी के हम के प्रत्याशी रविंद्र राय को कुल 38,772 (25.11%) वोट मिले थे. HUM उस दौरान एनडीए का हिस्सा थीं.
तेजस्वी यादव की क्यों बढ़ी टेंशन
2020 तेजस्वी यादव ने अपनी सबसे करीबी माने जाने वाले डॉ. मुकेश रौशन को मैदान में उतारा था. उन्होंने भी उन्होंने भी 13,000 से अधिक वोटों से जेडीयू खेमे के एनडीए कैंडिडेट आसमा परवीन को हराया था. मुकेश रौशन को 62,747 यानी 36.48% वोट और आसमा परवीन को 48893 यानी 33.5% वोट मिले थे. इस सीट पर यादव और मुस्लिम गठजोड़ आरजेडी को मजबूत बनाता आया है, लेकिन इस पर आरजेडी ने निकाले गए तेज प्रताप यादव अलग पार्टी बनाकर महुआ सीट से खुद मैदान में उतरे हैं.
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तेज प्रताप यादव के इस फैसले ने तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ा दी है. क्योंकि यादव-मुस्लिम के बाद अनुसूचित जाति की करीब 21 फीसदी आबादी है, जिसमें पासवान और रविदास निर्णायक मतदाता माने जाते हैं. अगर यादव-मुस्लिम का वोट तेज प्रताप की जनशक्ति जनता दल और आरेजडी में बंटता है तो इसका फायदा एनडीए को मिलेगा.
एनडीए की सीट शेयरिंग में इस बार महुआ की सीट उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के खाते में गई है. चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा महुआ से अपने बेटे या बहू को मैदान में उतार सकते हैं. इसलिए इस सीट पर अब मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है.
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