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बिहार की सबसे ताकतवर दलित राजनीतिक फैमिली, जानें 6 सांसदों वाले इस परिवार की कहानी

आज हम आपको बिहार के उस दलित परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी यहां के राजनीतिक गलियारों में तूती बोलती है. इस परिवार के मुखिया ने दो शादियां रचाईं और अपने भाईयों को राजनीति में काफी आगे बढ़ाया. जानें 6 सांसदों वाले इस दलित परिवार की कहानी

जया पाण्डेय | Oct 13, 2025, 12:51 PM IST

1.बिहार का सबसे ताकतवार दलित राजनीतिक परिवार

बिहार का सबसे ताकतवार दलित राजनीतिक परिवार
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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए की सीटों का बंटवारा हो गया है और इसमें चिराग पासवान की पार्टी को 29 सीटें मिली हैं. बिहार की राजनीति में चिराग पासवान के परिवार को सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार माना जाता है. इस परिवार में कुल 21 लोग हैं जिनमें से 8 राजनीति से जुड़े हुए हैं.

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2.रामविलास पासवान 6 बार रहे केंद्रीय मंत्री

रामविलास पासवान 6 बार रहे केंद्रीय मंत्री
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चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान 6 बार केंद्रीय मंत्री, 32 साल लोकसभा सांसद, दो बार राज्यसभा सांसद और 1 बार विधायक रह चुके हैं. उनके चाचा पशुपति नाथ एक बार केंद्रीय मंत्री और 7 बार विधायक रहे. चिराग पासवान खुद केंद्रीय मंत्री और लोकसभा सांसद हैं. 

3.बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे रामविलास पासवान

बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे रामविलास पासवान
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राम विलास पासवान का जन्म बिहार के शहरबन्नी गांव में कबीरपंथी दलित जामुन पासवान और सियादेवी के यहां 5 जुलाई 1946 को हुआ. वह बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी थे. 1961 में हायर सेकेंडरी पास करने के बाद उन्होंने खगड़िया के कोसी कॉलेज में एडमिशन लिया. वह आगे कानून की पढ़ाई करना चाहते थे और इसके लिए पटना आ गए. 

4.14 साल की उम्र में हुई थी पहली शादी

14 साल की उम्र में हुई थी पहली शादी
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14 साल की उम्र में रामविलास की शादी राजकुमारी देवी से हुई और उनकी दो बेटिया उषा और आशा हुईं. 1967 में उनके मामा रामसेवक हजारी विधायकी का चुनाव चल रहे थे  और उस दौरान रामविलास ने उनका प्रचार किया. इससे ही उन्हें राजनीति को करीब से जानने का मौका मिला. 1969 में वह बिहार लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करके डीएसपी की पोस्ट के लिए सिलेक्ट हुए.
 

5.डीएसपी बनने के बाद यूं राजनीति में उतरे पासवान

डीएसपी बनने के बाद यूं राजनीति में उतरे पासवान
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हालांकि कई लोगों ने उन्हें सरकारी नौकरी जॉइन न करके राजनीति में उतरने की सलाह दी. लेकिन उनके मन में असमंजस की स्थिति थी. उनके पिता चाहते थे कि वह डीएसपी की नौकरी जॉइन कर लें लेकिन उनके एक दोस्त ने उन्हें समझाया कि अगर वे ऐसा करेंगे तो सरकारी नौकर बनेंगे और अगर वह राजनीति में जीतते हैं तो खुद सरकार बन जाएंगे. 

6.ट्रेन के इस वाकये के बाद लड़ा विधायकी का चुनाव

ट्रेन के इस वाकये के बाद लड़ा विधायकी का चुनाव
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ट्रेन से सफर के दौरान उनकी मुलाकात कांग्रेस विधायक मिश्री सदा से हुई और बातचीत में कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें विधायक की बात चुभ गई और उन्होंने विधायकी लड़ने का फैसला कर लिया. जब चुनाव के नतीजे आए तो पासवान को मिश्री से 700 वोट ज्यादा मिले और वह पहली बार विधायक बने. 

7.दूसरी शादी कर सुर्खियों में बने पासवान

दूसरी शादी कर सुर्खियों में बने पासवान
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राजनीतिक करियर के अलावा रामविलास पासवान की निजी जिंदगी भी काफी सुर्खियों में रही. जब रामविलास सांसद बने तो उनकी पहचान वाणिज्य मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर गुरबचन सिंह से हुई और धीरे-धीरे उनकी नजदीकी उनकी बेटी अविनाश कौर से बढ़ी. वह उम्र में उनसे 12 साल छोटी थीं. पहली पत्नी से अलग होकर 1983 में उन्होंने अविनाश कौर से शादी कर ली जिनका नाम बाद में रीना पासवान बदला गया. इस शादी से उन्हें दो बच्चे निशा और चिराग हुए. 

8.भाईयों को भी राजनीति में यूं बढ़ाया

भाईयों को भी राजनीति में यूं बढ़ाया
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1980 में सांसद बनने के बाद रामविलास पासवान ने अपने दो भाईयों पशुपति पारस और रामचंद्र को भी राजनीति में आगे बढ़ाने लगे. 28 सितंबर 2000 को उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई जिसका नाम उन्होंने जनशक्ति पार्टी रखा. बाद में इसमें लोक जोड़ा गया और इसका नाम लोक जनशक्ति पार्टी बन गया. 

9.चिराग पासवान ने यूं संभाली पिता की राजनीतिक विरासत

चिराग पासवान ने यूं संभाली पिता की राजनीतिक विरासत
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साल 2013 में फिल्मों में किस्मत न चल पाने की वजह से चिराग पासवान दिल्ली लौट आए और पिता के साथ पार्टी का काम देखने लगे. अब पशुपति और रामचंद्र से ज्यादा पार्टी में चिराग की पैठ बढ़ने लगी और रामविलास भी बेटे पर ही भरोसा करने लगे. 2020 के बिहार चुनाव में चिराग पिता के बीमार होने पर पार्टी को लीड कर रहे थे. पिता के निधन के बाद से चिराग अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

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