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Bihar Election 2025: लड़ना-भिड़ना छोड़े, इसलिए तेजस्वी को बिहार का चेहरा बनाए महागठबंधन...

Bihar Election 2025: राजद द्वारा तेजस्वी को स्पष्ट रूप से पसंद किए जाने के बावजूद, कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर उन्हें गठबंधन के चेहरे के रूप में समर्थन नहीं दिया है.

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Bihar Election 2025: लड़ना-भिड़ना छोड़े, इसलिए तेजस्वी को बिहार का चेहरा बनाए महागठबंधन...

Bihar Election 2025

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नवंबर की शुरुआत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों पर पूरे देश की नजर है. सरकार किसकी बनेगी से लेकर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री कौन होगा? जैसे प्रश्नों पर जनता ने अभी से माथापच्ची करनी शुरू कर दी है. चूंकि बिहार चुनावों की तैयारियां जोरो शोरों पर हैं तमाम ख़बरें भी हमारे सामने आ रही हैं. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तरफ से तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में औपचारिक रूप से घोषित किया जा सकता है. राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों वाला यह महागठबंधन अभी भी सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है, जबकि नेतृत्व पर आम सहमति पर चर्चा जारी है.

चल रही बातचीत से वाकिफ लोगों कि मानें तो महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल होने और 100 से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के कारण, राजद के गठबंधन का नेतृत्व करने की उम्मीद है. चर्चा ये भी है कि,'चूंकि राजद सबसे बड़ा सहयोगी है, इसलिए स्वाभाविक है कि अगर महागठबंधन सरकार बनाता है तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होंगे.' जल्द ही औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है. हालांकि, राजद द्वारा तेजस्वी को स्पष्ट रूप से पसंद किए जाने के बावजूद, कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर उन्हें गठबंधन के चेहरे के रूप में समर्थन नहीं दिया है.

कांग्रेस नेता उदित राज ने अभी बीते दिन ही इस बात पर बल दिया कि तेजस्वी राजद की पसंद हो सकते हैं, लेकिन भारत ब्लॉक - जो कि राजद और कांग्रेस दोनों को मिलाकर बना बड़ा राष्ट्रीय विपक्षी गठबंधन है, ने अभी तक सर्वसम्मति से कोई फैसला नहीं लिया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उदित राज ने कहा कि, 'वह (तेजस्वी यादव) राजद के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो सकते हैं, लेकिन भारत ब्लॉक का मुख्यमंत्री पद का चेहरा सामूहिक रूप से तय किया जाएगा.'

बता दें कि तेजस्वी को तुरंत समर्थन देने में कांग्रेस की अनिच्छा को सीट बंटवारे पर चल रही बातचीत से जोड़कर देखा जा रहा है.  इस बीच, तेजस्वी यादव ने कहा है कि नेतृत्व को लेकर गठबंधन में कोई असमंजस नहीं है. तेजस्वी को लेकर एक रोचक तथ्य यह भी है कि अगस्त में, उन्होंने एकतरफ़ा तौर पर खुद को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया था, जिससे बिहार की राजनीति में राजद का दबदबा साबित हुआ था.

ध्यान रहे कि यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तेजस्वी के साथ अपनी 'मतदाता अधिकार यात्रा' का समापन किया. दोनों सासाराम में अभियान के शुरुआती चरण में एक साथ नज़र आए, जो एकता का प्रतीक था, हालांकि कांग्रेस नेतृत्व औपचारिक समर्थन को लेकर सतर्क रहा है. जहां तक सीट बंटवारे के फॉर्मूले की बात है, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की पहली बैठक में कथित तौर पर 25 सीटों पर अंतिम मुहर लग गई है, और पार्टी की आंतरिक सर्वेक्षण रिपोर्टों के आधार पर ज़्यादातर मौजूदा विधायकों को बरकरार रखे जाने की उम्मीद है.

माना यह भी जा रहा है कि कांग्रेस की अंतिम सीटें 55 से 60 के बीच रह सकती हैं, हालांकि पार्टी 2020 के चुनाव की तरह लगभग 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है. 2020 में, कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटें जीती थीं, जबकि राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इस बार, राजद नेता कथित तौर पर इतनी सीटें देने को तैयार नहीं हैं, जिससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस को कम सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान, कांग्रेस ने बिहार की 40 संसदीय सीटों में से नौ पर चुनाव लड़ा था, जो मौजूदा बातचीत के तहत लगभग 54 विधानसभा सीटों के बराबर हो सकता है.

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों, 6 और 11 नवंबर को होंगे जिसके नतीजे 14 नवंबर को आएंगे. यह मुकाबला विपक्षी महागठबंधन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ भाजपा-नेतृत्व वाले एनडीए के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है. विपक्षी गुट के लिए, यह चुनाव बिहार पर भाजपा की पकड़ को चुनौती देने और भविष्य के राष्ट्रीय मुकाबलों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है.

बहरहाल, मुख्यमंत्री पद को लेकर तेजस्वी के नाम पर अंतिम सहमति बनती है या फिर यही बात इंडी ब्लॉक के लिए मतभेद का कारण बनेगी? सवाल का जवाब हमें वक़्त देगा. मगर जिस तरह वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तेजस्वी के नाम को लेकर सियासी घमासान मचा है. महागठबंधन उनके नाम पर इसलिए भी एकमत हो सकता है क्योंकि तेजस्वी पूर्व में सरकार चला चुके हैं. उन्हें अनुभव तो है ही साथ ही साथ लालू पुत्र होने के कारण बिहार की जनता विशेषकर यादवों में उनके प्रति एक सॉफ्ट कार्नर है.

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