Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Punjab Election 2022: दोआब में कांग्रेस की राह कठिन! SAD, AAP दे रहे कड़ी चुनौती

Punjab Election: रविदासिया होने के नाते चन्नी का नाम गांवों में बातचीत में प्रमुखता से सामने आता है, वहीं युवा AAP के समर्थन में काफी मुखर हैं.

Punjab Election 2022: दोआब में कांग्रेस की राह कठिन! SAD, AAP दे रहे कड़ी चुनौती

Image Credit- Twitter/CHARANJITCHANNI

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: पंजाब के दलित-बहुल दोआब क्षेत्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस इसबार कठिन चुनौती का सामना कर रही है. कांग्रेस इस क्षेत्र में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की अच्छी-खासी पकड़ और खासकर युवाओं में आम आदमी पार्टी (AAP) की बढ़ती लोकप्रियता के कारण दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है. इस क्षेत्र में कई लोग मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपनी पसंद बताते हुए उन्हें ‘‘अपना बंदा’’ कहते हैं, हालांकि उनकी पार्टी के लिए यहां बहुत अधिक जनाधार प्रतीत नहीं होता. चन्नी राज्य में दलित वर्ग से पहले मुख्यमंत्री हैं.

SAD और परंपरागत रूप से कुछ शहरी इलाकों में पकड़ रखने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) 20 फरवरी को होने वाले चुनाव में दोआब क्षेत्र में बढ़त बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं. कांग्रेस और SAD के बीच पंजाब की राजनीति की एकरसता को तोड़ने वाली AAP को क्षेत्र के युवाओं द्वारा बदलाव के अग्रदूत के रूप में देखा जा रहा है.

पढ़ें- UP Election 2022: पडरौना में राजा साहब आरपीएन सिंह दिलाएंगे बीजेपी को जीत?

राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में चार जिलों जालंधर, होशियारपुर, नवांशहर और कपूरथला में फैले दोआब क्षेत्र में 23 विधानसभा सीटें हैं. बाकी सीटें मालवा (69 सीटें) और माझा (25) में हैं. राज्य में 2017 में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोआब में 15 सीटें जीती थीं, SAD ने BJP के साथ गठबंधन में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और AAP को सिर्फ दो सीटें मिली थीं.

पढ़ें- UP Election 2022: Akhilesh के खिलाफ चुनाव लड़ रहे BJP प्रत्याशी के काफिले पर पथराव

राज्य के 31 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं वाले दलित समुदाय के बीच अपनी स्थिति को और मजबूत करने के उद्देश्य से कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी प्रदेश इकाई के प्रमुख और लोकप्रिय नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मजबूत दावों के बावजूद चन्नी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया.

पढ़ें- UP Election 2022: Akhilesh बोले- सत्ता में आए तो गरीबों को देंगे एक किलो घी और मुफ्त राशन

हालांकि, इस क्षेत्र के लोग इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि क्या कांग्रेस को इस कदम से वांछित सफलता मिलेगी. आदमपुर निर्वाचन क्षेत्र में सामाजिक-धार्मिक संगठन डेरा सचखंड बल्लान में बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोगों और सेवकों को मोबाइल फोन पर चन्नी के भाषणों और साक्षात्कारों को सुनते हुए देखा जा सकता है, लेकिन पास के गांवों की यात्रा करने पर लोग संकेत देते हैं कि वे ‘हाथी’ (बसपा का चुनाव चिह्न) को पसंद करते हैं.

पढ़ें- Uttar Pradesh Election 2022: Mukhtar नहीं इस बार बेटा अब्बास लड़ेगा चुनाव! राजभर की पार्टी से भरा पर्चा

रविदास जयंती के मद्देनजर पंजाब के चुनाव कार्यक्रम को 14 फरवरी से बदल दिया गया जो समुदाय के प्रभाव को दर्शाता है. बल्लान गांव के एक बुजुर्ग अवतार सिंह ने कहा, "हमारे परिवार ने पारंपरिक रूप से अकालियों को वोट दिया है और इस बार वे बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए हम हाथी के चिह्न पर वोट करेंगे."

पढ़ें- बाराबंकी की इस VIP सीट पर किसकी होगी विजय? जानें इतिहास

हालांकि एक ग्रामीण दर्शन पाल चन्नी के बारे में लगाव जाहिर करते हैं. उन्होंने कहा, "देखिए, इस बार हमारा अपना आदमी भी मैदान में है और हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा."

पढ़ें- क्या इलाहाबाद दक्षिण में नंद गोपाल 'नंदी' फिर दिखा पाएंगे अपना जलवा?

इस क्षेत्र में डेरा का बड़ा प्रभाव है जिसमें दलितों की आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है और ज्यादातर रविदासिया हैं. "नवी सरकार" और "ऐतकी बदलाव" (इस बार बदलाव) जैसे वाक्य अब खासकर युवाओं की बातचीत में प्रमुखता से शामिल हैं.

पढ़ें- UP Election 2022: Yogi और Akhilesh एक ही सिक्के के दो पहलू- ओवैसी

अपने दादा अवतार सिंह और उनके दोस्तों को चाय देने आए कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्र गोल्डी AAP का संदर्भ देते हुए कहते हैं, "ऐतकी नवी सरकार (इस बार, नई सरकार) बनेगी." इस पर कई लोगों ने सहमति जताई कि इस बार गांवों में नई पार्टी को चुनने का मूड है. उनके बीच बैठे SAD कार्यकर्ता हरप्रीत सिंह कहते हैं, ‘‘झाड़ू (AAP का चुनाव चिह्न) हवा में उड़ रही है, लेकिन जमीन पर सरपंच और कार्यकर्ता नहीं हैं जो वोट लाएंगे."

जालंधर और होशियारपुर जिलों के गांवों में शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के समर्पित कार्यकर्ता और समर्थक देखे जा सकते हैं. उनमें से कई पूर्व सरपंच और ब्लॉक अध्यक्ष हैं. यह एक महत्वपूर्ण पहलू है जो किसी पार्टी के लिए वोट लाने में मदद करता है.

रविदासिया होने के नाते चन्नी का नाम गांवों में बातचीत में प्रमुखता से सामने आता है, वहीं युवा AAP के समर्थन में काफी मुखर हैं. पंजाब के इस क्षेत्र में रोजगार का मुद्दा भी छाया हुआ है. होशियारपुर के रुरका कलां गांव के सरबजीत सिंह संधू का बड़ा बेटा विदेश में रहता है. सरबजीत ने कहा, "लोग जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड से अधिक पासपोर्ट पसंद करते हैं ताकि वे विदेश जा सकें क्योंकि यहां कोई नौकरी नहीं है."

दोआब क्षेत्र के गांवों से मुख्य शहरों की ओर बढ़ने पर भाजपा की मौजूदगी होर्डिंग और लोगों की बातचीत में विशेष रूप से जालंधर शहर के विधानसभा क्षेत्रों में दिखने लगती है, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का बड़ा प्रभाव है. स्थानीय BJP नेताओं को पार्टी के उम्मीदवारों खासकर जालंधर उत्तर में, के डी भंडारी, जालंधर पश्चिम में मोहिंदर भगत, जालंधर मध्य में मनोरंजन कालिया और फगवाड़ा में पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला पर भरोसा है.

(हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.)

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement