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UP Elections: क्या 'हिंदुत्व' बना रहेगा मुद्दा या जातियों में उलझ जाएगी भाजपा?

Uttar Pradesh Elections: विकास के तमाम दावों के बाद भी BJP इस चुनाव को अपने पुराने जांचे-परखे 'हिंदुत्व के मैदान' में ही खेलना चाहती है.

UP Elections: क्या 'हिंदुत्व' बना रहेगा मुद्दा या जातियों में उलझ जाएगी भाजपा?

Image Credit- DNA

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डीएनए हिंदी: ठीक जिस तरह से क्रिकेट मैच में होम ग्राउंड पर खेलने वाली टीम को फायदा होने के ज्यादा चांस होते हैं, वैसा ही हाल कुछ राजनीति का भी है और इसबार उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) में यह साफ दिखाई भी दे रहा है.

उत्तर प्रदेश में विकास के तमाम दावों के बाद भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) जहां इस चुनाव को अपने पुराने जांचे-परखे 'हिंदुत्व के मैदान' में खेलने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) किसी भी तरह से चुनावी मुकाबले को अपने मैदान में करवाने की कोशिश करती दिखाई दे रही है. इन प्रयासों में उसे शुरुआती सफलता भी मिलती दिखाई दे रही है.

चुनाव में 'हिंदुत्व का तड़का' लगाने के लिए भाजपा ने क्या किया
कभी राम मंदिर की लहर पर सवार होकर उभरने वाली भाजपा अब भी मंदिर की राजनीति छोड़ती दिखाई नहीं दे रही है. भले ही अब अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी जा चुकी हो, भाजपा ने अब भी लगतार चुनाव में 'हिंदुत्व का तड़का' लगाने का प्रयास कर रही है. शायद इसी का परिणाम काशी विश्वनाम कॉरिडोर है.

इसके अलावा राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ट्वीट कर मथुरा को अपना अगला 'प्रोजेक्ट' तक बता दिया. इतना ही नहीं, कुछ दिनों पहले योगी आदित्यनाथ के "अब्बाजान" और "80 बनाम 20" बयान यह दर्शाते हैं कि भाजपा को यह लगता है कि अगर चुनाव में हिंदुत्व कार्ड हावी रहा वो उसकी नैया आसानी से पार हो सकती है.

सपा कर रही भाजपा को जातियों में उलझाने का प्रयास
कभी कहा जाता था कि जाति उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा है. भाजपा ने पिछले तीन चुनावों में हिंदुत्व को इससे भी बड़ा मुद्दा बना दिया है. यूपी चुनाव का ऐलान होने के बाद समाजवादी पार्टी अब यहीं भाजपा को नुकसान पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रही है. सपा प्रमुख न सिर्फ लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं बल्कि वो योगी सरकार पर जाति विशेष के लिए काम करने का आरोप भी लगा रहे हैं.

ऐसे में उनका स्वामी प्रसाद संग कुछ और भाजपा विधायकों को सपा में शामिल करवाना यह दर्शाता है कि वह भाजपा को जातियों में इतना उलझा देना चाहते हैं कि चुनाव में सपा की साइकिल की रफ्तार कोई कम न कर सके. अखिलेश इतने पर ही नहीं रुके हैं, शुक्रवार को उनकी और भीम आर्मी प्रमुख की मुलाकात के बाद चंद्रशेखर का ट्वीट इस बात की तस्दीक करता है कि समाजवादी पार्टी इस चुनावी मुकाबले को अपने मैदान में शिफ्ट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

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