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Baba Ramdev ने निकाला 'सुप्रीम' फटकार का तोड़, बेच देंगे साबुन-तेल का बिजनेस, खरीदार जानकर चौंक जाएंगे आप

Baba Ramdev New Plan: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी है. कोर्ट ने उसके टूथपेस्ट, साबुन जैसी चीजें बेचने पर भी हैरानी जताई थी. इसके बाद बाबा रामदेव ने नई तैयारी की है.

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Baba Ramdev New Plan: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगातार लग रही फटकार के बाद पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (Patanjali Ayurved Limited) ने एक नया प्लान बनाया है. बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की पतंजलि आयुर्वेद ने अपने साबुन, तेल, शैंपू, टूथपेस्ट जैसे नॉन-फूड्स बिजनेस को बेचने की तैयारी कर ली है. हालांकि जब आप इस बिजनेस को खरीदने वाली कंपनी का नाम जानेंगे तो चौंक जाएंगे. दरअसल इस बिजनेस का अधिग्रहण पतंजलि फूड्स लिमिटेड (Patanjali Foods Limited) कर रही है, जो पतंजलि ग्रुप की ही एक अन्य लिस्टेड कंपनी है. पतंजलि फूड्स ने इस अधिग्रहण के प्रस्ताव की जानकारी शेयर मार्केट नियामक सेबी को दे दी है. पतंजलि आयुर्वेद के कुल बिजनेस में नॉन-फूड्स कैटेगरी की हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है.

क्या बताया है पतंजलि फूड्स ने सेबी को

पतंजलि फूड्स ने सेबी को दी जानकारी में पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से नॉन फूड बिजनेस की बिक्री को लेकर पत्र मिलने की बात कही है. कंपनी ने बताया है कि 26 अप्रैल को बोर्ड ने इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. अब कंपनी इस प्रस्ताव के मूल्यांकन और इससे होने वाले संभावित फायदे का आकलन कराएगी. इस आकलन में प्रस्ताव की जांच परख के लिए प्रोफेशनल्स तैनात किए जाएंगे, जो अधिग्रहण के नियम-शर्तें तैयार करेंगे और ऑडिट कमेटी इसके लाभ-हानि की रिपोर्ट तैयार करेगी.

पतंजलि फूड्स क्यों कर रही है यह अधिग्रहण?

पतंजलि फूड्स ने रेगुलेटरी फाइलिंग में इस अधिग्रहण का कारण भी बताया है, कंपनी के मुताबिक, पतंजलि के प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो के हिसाब से पतंजलि आयुर्वेद का प्रस्ताव पूरी तरह परफेक्ट है. इससे कंपनी के रेवेन्यू और एबिटा ग्रोथ में तेजी आ सकती है. बता दें कि पतंजिल फूड्स मूल रूप से खाद्य तेल का बिजनेस करती थी, लेकिन अब वह देश की टॉप FMCG कंपनियों में से एक है, जिसके पोर्टफोलियो में पतंजलि, रुचि गोल्ड और न्यूट्रेला जैसे मशहूर ब्रांड हैं. कंपनी का नाम पहले रूचि सोया इंडस्ट्रीज था, जो साल 1986 में शुरुआत के बाद दशकों तक देश में खाद्य तेलों की अग्रणी कंपनी रही है. पतंजलि ग्रुप की प्रमोटर कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने साल 2019 में दिवालिया प्रक्रिया के दौरान रूचि सोया को 4,350 करोड़ रुपये में खरीदा था. कोरोना काल के दौरान कंपनी के शेयर जबरदस्त उछाल के साथ ऊपर गए थे. जून 2022 में इसका नाम रूचि सोया से बदलकर पतंजलि फूड्स लिमिटेड कर दिया गया था. 

तीसरी बार अधिग्रहित करेगी अपनी ही खरीदार कंपनी का बिजनेस

पतंजलि फूड्स अपनी ही खरीदार कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का बिजनेस तीसरी बार खरीद रही है. इससे पहले जून, 2021 में उसने 3.50 करोड़ रुपये में पतंजलि आयुर्वेद का नूडल्स व ब्रेकफास्ट अनाज बिजनेस अधिग्रहित किया था, तो मई, 2022 में 690 करोड़ रुपये में फूड बिजनेस भी टेकओवर कर लिया था. इससे पहले मई, 2021 में पतंजलि नेचुरल बिस्कुट प्राइवेट लिमिटेड के बिस्कुट बिजनेस को भी पतंजलि फूड्स ने 60.03 करोड़ रुपये में खरीद लिया था.

मुश्किलों में फंसी हुई है पतंजलि आयुर्वेद

पतंजलि आयुर्वेद कंपनी एलोपैथिक व यूनानी पद्धति की दवाओं के खिलाफ अपने विज्ञापनों के लिए मुश्किल में फंसी हुई है. इसके लिए सु्प्रीम कोर्ट की तरफ से बाबा रामदेव और बालकृष्ण को फटकार भी लग चुकी है. दोनों के सार्वजनिक माफी मांगने को भी कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया है. रामदेव और बालकृष्ण ही पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक हैं. बाबा रामदेव कंपनी के प्रमोटर और आचार्य बालकृष्ण प्रबंध निदेशक हैं.

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